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Islamic jankari

Monday, 13 May 2019

May 13, 2019

Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी

Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी

Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी

Assalamu Alaikum Warahmatullahi Wabarakatuh आज हम itikaf के बारे में बात करेंगे इतिकाफ करने का बहुत सवाब है हमारे आका मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम हर रमजान को एक काम जरूर किया करते थे आप पहले Ashre ka इतिकाफ करते फिर दूसरे Ashre ka itikaf करते फिर तीसरे का भी इतिकाफ करते तीसरे Ashre ka का itikaf आप ज्यादा किया करते तीसरे Ashre का itikaf करना सुन्नत है!

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रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक


जब अल्लाह किसी मुसलमान को पसंद फरमाता है तो उसे हिदायत की तरफ बुलाता है और अपने वह काम लेता है जो उसे पसंद हो Ladke Ne kaam mein se ek kaam itikaf bhi hai जब बंदा सम्मान दुनिया भी काम छोड़कर सिर्फ अल्लाह की इबादत में लग जाता है तो उसे इतिहास कहते हैं इतिकाफ के दौरान अल्लाह के ही काम किए जाते हैं दुनिया भी कोई काम नहीं किया जाता इतिकाफ का एक सही तरीका है और इतिकाफ करने से पहले दुआ पढ़ी जाती है इतिकाफ तीन (प्रकार) किस्म के होते हैं. 1-Wajib- 2Sunnat-e-Mu’akkadah-3-Mustabab or Sunnat-e-Ghair Mu’akkadah

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10 दिन का itikaf


सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम रमजान की आखिरी आश्रय का itikaf kiya करते थे मोमिनीन हज़रत सैयदना आयशा सिद्दीका रजि अल्लाह ताला अनु फरमाते हैं कि मेरे सरताज सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम रमजान मुबारक के आखिरी अक्षरा यानी आखिरी 10 दिन kayam फॉर्मआया करते थे यहां तक कि अल्लाह ने आला ताला अलैहि वसल्लम को वफाt फरमाne के बाद आप ki biviyan itikaf करती rahi.

You too
You too itikaf ke beshumar Faisal hai hi Magar Diwanon ke liye Tu Itni hi baat Kafi hai ki Ashray Aakhir ka itihas Sunnat hai ya Tasveer hi zoq afza hai ki hum Pyare Sarkar Sallallahu Ala Wasallam ki Pyari aur Neha ki Sunnat Ada kar rahe hain.


1 दिन के itikaf की फजीलत


जो सिर्फ 1 दिन मस्जिद के अंदर एक लाश के साथ इतिकाफ कर ले उसके लिए भी बहुत ही शराब कि विचारक हैं हम बेकसों के अनुसार अल्लाह ताला वसल्लम ने फरमाया जो शख्स अल्लाह की खुशबू दी के लिए 1 दिन का एक काम करेगा अल्लाह ताला उसके और जहन्नम के दरमियान 30 के घायल कर देगा जिनकी मुसाफत आसमान और जमीन के फासले से भी ज्यादा होगी नंबर 21 और जगह इरशाद फ़रमाया जो शक्स खालिस नियत से बगैर लिया और विला ख्वाहिशें शोहरत एक दिन इतिहास वजह लाएगा उसको हजार रातों की सर्वे बेदारी का सवाब मिलेगा और उसके और दोजक के दरमियान का फैसला 500 बरस की राह होगा इंशा अल्लाह

थोड़ी देर itikazf का सुबाब



1- Mohummad Mustafa sallallahu allehi wasallim ne फ़रमाया जो शक्स मस्जिद में मगरिब से लेकर ईशा की नमाज तक यानी इतिकाफ की नियत से रहे नमाज और कुरान ए मजीद की तिलावत के सिवा koi काम ना करें यानी किसी से बात ना करें तो अल्लाह ताला पर लाजिम है कि अपने कर्म से उसके काम करने वाले के लिए जन्नत में महल तैयार करें .


2- हजरत ए सैयदना इब्ने अब्बास रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है किस शहंशाह ए मदीना सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम ने फरमाया एक काम करने वाला गुनाहों से महफूज हो जाता है और उसकी तमाम ने किया इसी तरह लिखी जाती रहती है जैसे वह इसको खुद करता रहा हो


 Mishkat Shareef

इतिकाफ करने का एक बहुत बड़ा फायदा यह भी है कि जितने दिन इतिकाफ में रहेगा गुनाहों से महफूज रहेगा और जो गुना वह बाहर कर रहा था उससे भी महफूज रहेगा लेकिन या अल्लाह की रहमत है कि बाहर रहकर जो नहीं किया वह किया करता था इतिहास की हालत में अगर छेद हो उनको अंजाम ना दे सकेगा फिर भी वह उसके नाम आए हमारे में बाद बदस्तूर लिखी जाती रहेंगी और उसे उनका स्वभाव भी मिलता रहेगा मसलन कोई इस्लामी भाई मरीजों की आदत या तीमारदारी करता था यह गरीबों की मदद करता था या सुन्नतों किए इस समय में जाया करता था !

Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar


और एक आपकी वजह से यह काम नहीं कर सका तो वह उन्हें क्योंकि सब आप से महरूम नहीं होगा बल्कि उसको बदस्तूर इन्हें क्यों का ऐसा ही सबा मिलता रहेगा जैसे वह खुद को अंजाम देता रहा हूं चंद्रदीप में माहे रमजान मुबारक के आखिरी तक नहीं है जब भी अप करें यह फजीलत हासिल होगी और रमजान उल मुबारक की तो बात ही क्या है एक हदीस पाक में barid हुआ है

300 शहीदों का सवाब


सरकारे मदीना सल्लल्लाहो ताला ले वाले वसल्लम ने फ़रमाया जो शक्स हा लिसन रमजान शरीफ में 1 दिन और एक रात इतिकाफ करे तो उसको 300 शहीदों का सवाब मिलेगा


दो हज aur दो उम्रो का सवाब


एक और मकान पर सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने फरमाया जिस ने रमजान उल मुबारक में 10 दिन का इतिहास किया तो ऐसा है जैसे दोस्तों मेरे किए अबे कहां से मुतालिक मस्जिद चंद हदीस ए मुबारक पेश की जाती है हज़रत सैयदना ना प्यार दे अल्लाह ताला अनु कहते हैं कि हज़रत सैयदना अब्दुल्ला बिन उमर फरमाते हैं कि मदीने के सुल्तान तो लाता नाले वाले वसल्लम रमजान की आखिरी अरे काहे का फॉर्म आया करते थे और हजरत ए ना फिर रजि अल्लाह ताला अनु फरमाते हैं कि हज़रत अब्दुल्ला बिन उमर रजि अल्लाह ताला अनहो ने मुझे मस्जिद में वह जगह भी दिखाई जाने वाले वसल्लम फरमाते थे

(मुस्लिम)

शबे कद्र की तलाश में itikaf


हजरत ए सैयदना अबू सईद खुदरी रजि अल्लाह ताला अनु फरमाते हैं कि सरकारे मदीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने 1 तुर्की हमें के अंदर रमजान उल मुबारक के पहले अश्वेत आए थे का फॉर्म आया फिर दरमियानी आश्रय का फिर सरे अखबार निकाला और फरमाया मैंने पहले आश्रय का इतिहास शबे कद्र की तलाश करने के लिए किया

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फिर इसी मकसद के तहत दूसरे आश्रय का इतिहास भी किया फिर मैंने पास अल्लाह ताला की तरफ से यह इत्तला दी गई शबे कद्र आखरी आश्रय में है लिहाजा जो शख्स मेरे साथ ऐसे काम करना चाहे वह आखरी आश्रय का इतिकाफ करें इसलिए कि मुझे शबे कद्र दिखाई गई थी फिर इसे भुला दिया गया और अब मैंने यह देखा कि मैं शबे कद्र की सुबह को गीली मिट्टी में सजदा कर रहा हूं लिहाजा जब तुम शबे कद्र को आखरी तक रातों में तलाश करो हजरत अबू सईद अल्लाह ताला अनु फरमाते हैं कि अब बारिश हुई और मस्जिद शरीफ की छत टपकने लगे 21 रमजान की सुबह को मेरी आंखों ने मीठे आका सल्लल्लाहो ताला वसल्लम को इस हालत में देखा कि आप सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम की पेशानी मुबारक पर पानी वाले गीली मिट्टी का था

(मिश्कत)

Meaning|| of inshaallah|| in Hindi , English||islamic nelofar azhari


रमजान उल मुबारक में इतिकाफ करने का सबसे बड़ा मकसद शबे कद्र की तलाश है और राजीव यही है कि शबे कद्र रमजान उल मुबारक के आखिरी 10 दिनों की ताक रातों में होती है इस हदीस से यह भी मालूम हुआ कि उस दिन शबे कद्र 21वीं सदी मगर यह फरमाना की आखिरी अशरा की ताक रातों में इसको तलाश करो इस बात को जाहिर करता है कि शबे कद्र हर साल बदलती रहती है यानी तभी 21 रिशब कभी 23 मिशप कभी 25 ऋषभ कभी 27 भी तो कभी 19 रिशब लिहाजा मुसलमान को शबे कद्र की आदत हासिल करने के लिए आखिरी आखिरी तक आप की तरफ दिलाई गई है क्योंकि क्योंकि एक आप 10 दिन मस्जिद में ही पड़ा रहता है और इन 10 दिन में कोई भी एक रात शबे कद्र होती है


 यह सब मस्जिद में कामयाब हो जाता है और खास नुक्ता इस हदीस ए पाक से यह मालूम हुआ कि हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम पर भी सजदा कर लिया करते थे लिहाजा बिना फाइल जमीन पर सजदा करना सुन्नत हुआ मेरे प्यारे आका सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की नूरानी परेशानी ख़ाक से अलविदा हो गई अल्लाह हू अकबर हमारे सरकार सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम किस कदर सादगी पसंद है यकीनन अल्लाह के हुजूर सजदे में अपनी परेशानी हाथ पर रखना और परेशानी का का बलोदा हो जाना बहुत बड़ी आजजी hi


हर साल की इबादत का सवाब


हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम फरमाने अली शान है जो शख्स रमजान उल मुबारक के आखिरी दिन सिडको एक लाश के साथ इतिकाफ करेगा अल्लाह तबारक व ताला उसके नाम आया माल में हजार साल की आदत दर्द फर्म आएगा और क्यामत के दिन उसको अपने (Arsh) के साए में जगह देगा!


Itikaaf Niyat in English


With the Blessed Name of Allah have I entered (into the Masjid) and in Him have I placed my trust, and I have made the intention of the Sunnah of I’itikaf. O Allah open Your doors of Mercy upon me.”

Itikaf (Aetikaf) Niyat in Arabic

بسم الله دخلت و عليه توكلت و نويت سنت الاعتكاف۔ اللهم افتح لي ابواب رحمتكك

Itikaf Niyat English Transliteration

Bismillahi Dakhaltu Wa'Alayhi Tawakkaltu Wanawaytu Sunnatul I'tikaaf



Niyat For Nafl I'tikaf


Nawito sunnat-ul-itikaf



NAWAYTUL I`TIKFA MA DUMTU FIL MASJID

I intend making I'tikaf for Allah, the High,
the Glorious, as long as I remain in the Masjid.

इतिकाफ की तारीफ

मस्जिद में अल्लाह के लिए बनी अतिथि करना इतिकाफ है और इसके लिए मुसलमान Akil और अनामत है जो janabat Heaz or nifas से पाक होना शर्त है boolug shart नहीं बल्कि नाबालिक जो tameez रखता है अगर वह नियत इतिकाफ में मस्जिद में ठहरे तो यह तक आप सही है इतिकाफ के lugvi माना है धरना मारना मतलब की muattaqif अल्लाह की बारगाह में इश्क इबादत पर कमर बस्ता होकर धरना मारकर पड़ा रहता है उसकी यही धुन होती है कि किसी तरह उसका परवरदिगार राजी हो जाए.


अब तो बनी के दर पर बिस्तर जमा दिया है

HAZRAT_E_Ataa khurasani रहमतुल्लाहि ताला अनहो फरमाते हैं कि Muattakif की मिसाल उस शख्स की सी है जो अल्लाह ताला के दर पर आ पड़ा हो और यह कह रहा हो या अल्लाह जब तक तू मेरी मकसद नहीं फरमा देगा मैं यहां से नहीं चलूंगा.


हमसे फकीर भी अब फेरी को उठते होंगे
अब तो gani के दर पर बिस्तर जमा दिए
हैं


Meaning of Allahu akbar ||meaning of Azan in hindi


इतिकाफ को करने से पहले आपको यह समझ लेना चाहिए कि आपको कौन Sa इतिकाफ करना है इतिकाफ की तीन किस्में है!
Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी
Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी


एतिकाफ़ की तीन क़िस्मे हैं – Three types of Itikaf


वाजिब– एतिकाफ़ की मन्नत मानने से एतिकाफ़ वाजिब हो जाता है इसके लिये दिल के इरादे के साथ-साथ ज़ुबान से भी कहना ज़रूरी है सिर्फ़ दिल में इरादे से वाजिब नहीं होगा। मान लीजिए आपने किसी वजह से कोई मन्नत मांगी और कहा कि मैं ऐसा हो जाने पर इतिकाफ करूंगा या करूंगी तो आपका इतिकाफ करना वाजिब हो गया!


सुन्नते मुअक्कदा– रमज़ान के आख़िर के दस दिन में एतिकाफ़ करना सुन्नते मुअक्कदा है । यह एतिकाफ़ सुन्नते किफ़ाया है यानि अगर सब छोड़ दें तो सबसे इसके बारे में मुतालबा होगा और शहर में एक ने कर लिया तो सब इस ज़िम्मेदारी से आज़ाद हो गये । इस एतिकाफ़ में बीस रमज़ान को सूरज डूबते वक़्त से ईद का चाँद होने तक एतिकाफ़ की नीयत से दिन-रात मस्जिद में रहना ज़रूरी है


Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी
Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी


 हमारे आका मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम आखिर के 10 अंक दिनों में इतिकाफ फरमाया करते 10 दिनों में ही शबे कद्र की भी विशारद दी गई yeah 10 din bahut jyada Afzal aur Allaa hai
इन 10 दिनों में की गई इबादत अल्लाह ताला को बेहद पसंद है 20 बेरो से से लेकर चांद रात तक यानी जब चांद दिख जाए Eid ka तब आप इतिकाफ मुकम्मल कर कर अपने घर वापस आ सकते हैं!


मुस्तहब/सुन्नते ग़ैर मुअक्कदा– इन दोनों के अलावा अगर एतिकाफ़ किया जाये वह मुस्तहब या सुन्नते ग़ैर मुअक्कदा है।


एतिकाफ़ के लिये ज़रूरी मसाइल – Itikaf ke Masail

सबसे ज़्यादा अफ़ज़ल एतिकाफ़ मस्जिद हरम शरीफ़ में है, फिर मस्जिद नबवी शरीफ़ में, फिर मस्जिद अक़सा में, फिर उस मस्जिद में जहाँ बड़ी जमाअत होती हो।


एतिकाफ़ के लिए जामा मस्जिद होना शर्त नहीं बल्कि मस्जिद-ए-जमाअत में भी हो सकता है। मस्जिदे जमाअत वह है जिसमें इमाम व मुअज़्ज़िन मुक़र्रर हों, चाहे उसमें पाँचों वक़्त की नमाज़ नहीं होती । वैसे आसानी के तौर पर हर मस्जिद में एतिकाफ़ सही है चाहे वह मस्जिद-ए-जमाअत न भी हो।


औरत को मस्जिद में एतिकाफ़ मकरूह है बल्कि वह घर में ही एतिकाफ़ करे मगर उस जगह करे जो उसने नमाज़ पढ़ने के लिए मुक़र्रर कर रखी हो।


अगर औरत ने नमाज़ के लिए कोई जगह मुक़र्रर नहीं कर रखी है तो घर में एतिकाफ़ नहीं कर सकती अलबत्ता अगर उस वक़्त यानि जबकि एतिकाफ़ का इरादा किया किसी जगह को नमाज़ के लिए ख़ास कर लिया तो उस जगह एतिकाफ़ कर सकती है।


एतिकाफ़-ए-मुस्तहब के लिए न रोज़ा शर्त है न उसके लिए कोई ख़ास वक़्त मुक़र्रर बल्कि जब मस्जिद में एतिकाफ़ की नीयत की जब तक मस्जिद में है एतिकाफ़ से है, मस्जिद के बाहर चला गया तो एतिकाफ़ ख़त्म हो गया।


जब भी मस्जिद में जाए एतिकाफ़ की नीयत करलें। नीयत करते वक़्त यह कहे ‘‘नवैतु सुन्नतलएतिकाफ़’’ — और उसके बाद थोड़ी देर कुछ इबादतभी ज़रूर करे और इसके बाद जितनी देर मस्जिद मेंरहेगा उतनी देर इबादत का सवाब पाएगा।


एतिकाफ़-ए-सुन्नत यानि वह एतिकाफ़ जो रमज़ान की आख़िरी दस तारीख़ों में किया जाता है उसमें रोज़ा शर्त है। लिहाज़ा अगर किसी मरीज़ या मुसाफ़िर ने एतिकाफ़ तो किया मगर रोज़ा न रखा तो सुन्नत अदा न हुई बल्कि नफ़्ल हुआ।


मन्नत के एतिकाफ़ में भी रोज़ा शर्त है यहाँ तक कि अगर एक महीने के एतिकाफ़ की मन्नत मानी और यह कहा कि रोज़ा नहीं रखेगा जब भी रोज़ा रखना वाजिब है।


अगर रात के एतिकाफ़ की मन्नत मानी तो यह मन्नत सही नहीं कि रात में रोज़ा नहीं हो सकता और अगर इस तरहकहा कि “एक दिन रात का मुझ पर एतिकाफ़ है” तो यह मन्नत सही है और अगर आज के एतिकाफ़ की मन्नत मानी और खाना खा चुका है तो मन्नत सही नहीं।

Allah||Allah ke 99 Naam||99Beautifull Name Of Allah in Hindi


एतिकाफ़-ए-वाजिब और एतिकाफ़-ए-सुन्नत में मस्जिद से बग़ैर उज़्र निकलना हराम है, निकले तो एतिकाफ़ टूट जायेगा चाहे भूलकर ही निकला हो। इसी तरह औरत ने मस्जिद-ए-बैत (घर में जो जगह नमाज़ के लिए ख़ास कर ली हो) में एतिकाफ़े वाजिब या सुन्नत किया तो बग़ैर उज़्र वहाँ से नहीं निकल सकती अगर वहाँ से निकली चाहे घर ही में रही एतिकाफ़ जाता रहा।


एतिकाफ़ करने वाले के लिये मस्जिद से निकलने के दो उज़्र हैं एक हाजित–ए–तबई जो मस्जिद में पूरी नहीं हो सकती जैसे पाख़ाना, पेशाब, इस्तिन्जा, वुज़ू और ग़ुस्ल।


ग़ुस्ल/वुज़ू के लिये बाहर जाने की यह शर्त है कि मस्जिद में इनका इन्तिज़ाम न हो। मस्जिद में वुज़ू/ग़ुस्ल कर सकते हों तो बाहर जाने की इजाज़त नहीं।


दूसरा उज़्र हाजित–ए–शरई है जैसे जुमा की नमाज़ के लिए या अज़ान कहने के लिए मीनार पर जाना।


क़ज़ा-ए-हाजित यानि पेशाब-पाख़ाने को गया तो पाक होकर फ़ौरन चला आये ठहरने की इजाज़त नहीं और अगर मोतकिफ़ के दो मकान हैं एक पास दूसरा दूर तो पासवाले मकान में जाये बाज़ मशाइख़ फ़रमाते हैं दूर वाले में जायेगा तो एतिकाफ़ फ़ासिद हो जायेगा।


दिन में भूल कर खा लेने से एतिकाफ़ फ़ासिद नहीं होता।


एतिकाफ़ के दौरान डूबने या जलने वाले को बचाने के लिये , गवाही देने के लिये , जिहाद में जाने के लिये,  मरीज़ की इयादत या नमाजे़ जनाज़ा के लिए मस्जिद से बाहर गया तो इन सब सूरतों में एतिकाफ़ फ़ासिद हो गया।


अगर मन्नत मानते वक़्त यह शर्त कर ली कि मरीज़ की इयादत,जनाज़े की नमाज़ या इल्म की मजलिस में हाज़िर होगा तो अब इनके लिए जाने से एतिकाफ़ फ़ासिद नहीं होगा। मगर ख़ाली दिल में नीयत करना काफ़ी नहीं, ज़ुबान से कहना ज़रूरी है।


पाख़ाना, पेशाब के लिए गया था क़र्ज़ा माँगने वाले ने रोक लिया एतिकाफ़ फ़ासिद हो गया।


एतिकाफ़ करने वाले को जिमा करना, औरत का बोसा लेना, छूना या गले लगाना हराम है इससे एतिकाफ़ फ़ासिद हो जायेगा।


गाली-गलौच, झगड़ा करने से एतिकाफ़ फ़ासिद नहीं होता मगर बे-नूर व बे-बरकत हो जाता है।


एतिकाफ़ करने वाले को मस्जिद में ही खाना, पीना और सोना चाहिये इन कामों के लिए मस्जिद से बाहर गये तो एतिकाफ़ ख़त्म, मगर खाने, पीने में यह एहतियात लाज़िम है कि मस्जिद में खाना या पानी गिरने से गंदगी न हो।


एतिकाफ़ के अलावा किसी को मस्जिद मेंखाने,पीने, सोने की इजाज़त नहीं, अगर ऐसा करना चाहे तो एतिकाफ़ की नीयत करके मस्जिद में जाये और नमाज़ पढ़े या ज़िक्रे इलाही करे फिर यह काम कर सकता है। इस पर ज़रा ध्यान दें आजकल लोगों में मस्जिद का एहतराम बिल्कुल ख़त्म होता जा रहा है। मस्जिद में बैठकर इधर-उधर की बातें करते रहते हैं, बेधड़क आकर सो जाते हैं यह सब ग़लत है। इससे बचें।


एतिकाफ़ करने वाले न तो चुप ही रहें और न कोई बुरी बात मुँह से निकाले, इबादत की नीयत से या सवाब समझकर चुप रहना मकरूहे तहरीमी है।

एतिकाफ़ करने वाले को चाहिये कि चुप रहने या बात करने के बजाय ज़्यादा वक़्त क़ुरआन मजीद की तिलावत, हदीस शरीफ़ की क़िरात, दुरूद शरीफ़ की कसरत, इल्मे दीन की किताबें वग़ैरा पढ़ने या पढ़ाने में लगाए।


एतिकाफ़ के मुताल्लिक़ कुछ अहादीस

रसूलुल्लाह रमज़ान के आख़िर अशरा (यानि रमज़ानके आख़िरी दस दिन) का एतिकाफ़ फ़रमाया करतेथे। (सहीहैन में उम्मुल मोमिनीन सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा से मरवी)


एतिकाफ़ करने वाले पर सुन्नत यह है कि न मरीज़की इयादत को जाये, न जनाज़े में हाज़िर हो, नऔरत को हाथ लगाये और न उससे मुबाशरत करेऔर न कुछ ख़ास ज़रूरतों के अलावा किसी दूसरीज़रूरत के लिए मस्जिद के बाहर जाये मगर उसहाजत के लिए जा सकता है जो ज़रूरी है औरएतिकाफ़ बग़ैर रोज़े के नहीं और एतिकाफ़जमाअतवाली मस्जिद में करे। (अबू दाऊद उन्हीं से रिवायत)


रसूलुल्लाह  ने एतिकाफ़ करने वाले  के बारे मेंफ़रमाया कि वह गुनाहों से बाहर रहता है औरनेकियों से उसे इस क़द्र सवाब मिलता है जैसे उसनेतमाम नेकियाँ कीं। (इब्ने माजा इब्ने अब्बास से रावी )


हुज़ूर अक़दस ने फ़रमाया जिसने रमज़ान में दसदिनों का एतिकाफ़ कर लिया तो ऐसा है जैसे दो हजऔर दो उमरे किये। (बैहक़ी इमाम हुसैन से रावी)


Agar aapko yeah post  Itikaf|| इतिकाफ की दुआ हिंदी|| इंग्लिश|| उर्दू|| इतिकाफ का तरीका ||itikaf 2019 ||रमजान ||शहरी pasand hai to please Saba Bajariya ke Niyat se is pooch Kaun Jyada Se Jyada share kijiye Shukriya allah Hafiz nextpost Milenge Inshallah Dua mein yaad rakhiye ga.

Wednesday, 8 May 2019

May 08, 2019

रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक

रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक
रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक

अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्लाहि बरकातहू आज हम रमजान की तारीख का जिक्र करेंगे वैसे तो रमजान की तारीख का मोहताज नहीं वह खुद आना आला से आला महीना है इस महीने की जितनी तारीफ की जाए वह कम है क्योंकि ए अल्लाह ताला का महीना है अल्लाह इसमें दिलों के महल को धो देता है और नीचे की तरफ मुसलमानों को भेज देता है और सभी के गुनाह माफ कर देता है और 11 सवाब का 70 70 * guna bada diya jata है!


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 घरों में रहमते बरसा ता है और रिस्क में बरकत कर देता है और कहता है मांगू जो मांगना है मांग लो फर्श का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है फुल कर दिया जाता है माहे मुबारक रमजान की क्या तारीफ करूं जितनी तारीफ करो उतनी कम है यह दिलों की ठंडक का महीना है यह दिल के सुकून का महीना है रौनक के बाजारों में सजावट इंतजार खुदा का खौफ कुछ कुछ अलग ही होता है जो पिछले 11 महीनों में कहीं भी नहीं होता शैतान को कैद कर दिया जाता है जिसकी वजह से इंसान काफी हद तक अल्लाह की तरफ झुकता है अपने गुनाहों से तौबा करता है

रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक

रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक


  • रमजान की तारीफ


इस मुकद्दस आयत जो ऊपर दी गई है के पैदाइश से शहरी रमजान के तहत हजरत मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह ताला अलेही तपसीरे neemi मैं फरमाते हैं

रमजान या तो रहमान की तरह अल्लाह का नाम है क्योंकि इस महीने में दिल दिन रात अल्लाह की इबादत होती है लिहाजा इसे चेहरे रमजान यानी अल्लाह का महीना कहा जाता है जैसे मस्जिदों का बाकू अल्लाह का घर कहते हैं कि वहां अल्लाह के ही काम होते हैं ऐसे ही रमजान अल्लाह का महीना है कि इस महीने में अल्लाह के ही काम होते हैं !

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Meaning|| of inshaallah|| in Hindi , English||islamic nelofar azhari

रोजा शराबी वगैरा तो है ही अल्लाह की मगर वह हालात ए रोजा जो जाहिद नौकरी और जाइज से ज्यादा वगैरह की जाती है वह भी अल्लाह की काम करार पाते हैं इसलिए इस माह का नाम रमजान यानी अल्लाह का महीना है या यह रमजान से मुश्तक है रमजान मौसम में खरीफ की बारिश को कहते हैं जिससे जमीन भूल जाती है और रबी की फसल खूब होती है क्योंकि यह महीना दिल के गद्दार को धो देता है और इससे आम आम की खेती हरी भरी रहती है !


इसलिए इसे रमजान कहते हैं साबुन में रोजाना बारिश चाहिए और भादो में 4 आसान में 111 से खेतिया पक जाती है तो इसी तरह 11 महीने बराबर नहीं की जाती है फिर रमजान के रोजे इसने क्योंकि खेती को पका दिया यह रन से बना जिसके माना है गर्मी या जलना क्योंकि इसमें मुसलमान की या यह गुनाहों को जला डालता है इसलिए इसे रमजान कहा जाता है रमजान बहुत खूब यो काजल था इसीलिए इसका नाम भी रमजान हुआ!

रमजान में बरकत ही बरकत ए हैं 


हजरत मुफ्ती अहमद यार खान रहमतुल्लाहि ताला अलैहि तfसिरे नहीं मी में फरमाते हैं इस माह ए मुबारक के कुल 4 नाम है

पहला माहे रमजान

दूसरा माहे सब्र

तीसरा महीना mahe muasat

चौथा माह में woosate रिस्क



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और आगे वह यह भी फरमाते हैं कि रोजा सब्र है जिसकी जगह रब है और वह इसी महीने में रखा जाता है इसलिए माहे सब्र कहते हैं वह साथ के माना है भलाई करना क्योंकि इस महीने में सारे मुसलमानों से खासकर अहले करावत में भलाई करना ज्यादा स्वभाव है इसलिए इसे मां है वह साथ कहते हैं इसमें रिस्क की फराह की भी होती है कि गरीब भी नेमतें खा लेते हैं इसीलिए इसका नाम मा है उसे रिस्क भी है हजरत ए किबला मुफ्ती अहमद यार खान रहमतुल्ला हे तने जिम माहे रमजान के मस्जिद तेरा फाइल बयान फरमाए हैं वह दर्जे जेल है!



1= Kaba musalmano ko Bula kar deta hai aur yah Aakar rahamat Banta Hai goyani ka Bakra hai aur yah Ramzan Sharif Dariya Hai Ya wakaba Dariya Hai Aur Ye Ramzan Barish hai.


2= हर महीने में खास तारीफें और तारीखों में भी खास वक्त में इबादत होती है मसलन बकरा ईद के चांद मकसूद तारीखों में हज मोहर्रम की दसवीं तारीख अफजल है मगर माहे रमजान में हर दिन और हर वक्त इबादत होती है रोजा इबादत स्टार भारत स्टार के बाद शराबी का इंतजार इबादत तरावी पढ़कर शहरी के इंतजार में सोना इबादत फिर शहरी खाना भी इबादत गरz की आन में खुदा की शान नजर आती है!


3= रमजान एक भट्टी है जैसे कि भक्ति गंदे लोहे को सांप और सांप लोहे को मशीन का पुर्जा बनाकर कीमती कर देती है और सोने के जेवर बना कर इस्तेमाल के लायक कर देती है ऐसे ही माहे रमजान गुनाहगारों को बात करता है और मेक लोगों के दर्जे बढ़ाता है!


4= रमजान में नफिल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का शबाब 70 गुना मिलता है !


5=बाज उलमा फरमाते हैं कि जो रमजान में मर जाए उससे सवाल आते कब्र भी नहीं होते !


6=इस महीने में शबे कद्र है गुस्सा आया तो मालूम हुआ कि कुरान रमजान में आया और दूसरी जगह फरमाया इन लंदन नाउ फी लैला तुल कद्र बेशक हमने इसे शबे कद्र में उतारा दोनों आए तो के मिलाने से मालूम हुआ कि शबे कद्र रमजान में ही है और वह वाली बंद 27 वी शब है क्योंकि लैला तुल कद्र में नोहर है और यह लव सूरह कद्र में तीन बार आया जिससे 27 हासिल हुआ मालूम हुआ कि वह 27 wi shab है!


7= रमजान में प्लीज कैद कर दिया जाता है और दोजक के दरवाजे बंद हो जाते हैं जन्नत का रस्ता की जाती है इस के दरवाजे खोल दिए जाते हैं इसीलिए उन दिनों में ने क्यों की आरती और गुनाह की कमी होती है जो लोग गुनाह करते भी हैं वह nafs_e_ammara ya अपने साथ ही शैतान kareen के बहकावे से करते हैं !


8=रमजान के खाने-पीने का हिसाब नहीं !


9=क्यामत में रमजान aur कुरान रोजादार की shafaat करेंगे कि रमजान तो कहेगा कि मौला मैंने इसे दिन में खाने पीने से रोका था और कुरान अर्z करेगा कि या Rab मैंने इसे रात में तिलावत व तरावी के जरिए रोज सोने से रोका!


10=Huzur sallahu तालाalehiवसल्लम रमजान मुबारक में हर कैदी को छोड़ देते थे और हर साहिल को अता फरमा तेथे रब ताला भी रमजान में जहन्नम यों को छोड़ता है लिहाजा हमें चाहिए कि रमजान में नेक काम किया जाए और गुनाह से बचा जाए !


11=क़ुरआने करीम में सिर्फ रमजान शरीफ ही का नाम लिया गया है और इसी के बयान हुए किसी दूसरे महीने का नाम nahi है ना ऐसेdosre महीनों में सिर्फ कुरान शरीफ में लिया गया और Aorto me बीवी मरियम ka naam Quran me aya hai sahaba me sirf hazrat dead bin har is ka naam Quran me aya hai jissse in 3 ki adat maloom hui!


12=रमजान शरीफ में iftar और शहरी के वक्त दुआ कबूल होती है यानी इफ्तार करते वक्त यानी खजूर वगैरह खाकर या पानी पीने के बाद और शहरी खा कर यह मर्तबा किसी और महीने को हासिल नहीं !


13=रमजान में 5 Harf h
(R) Ameen ,zada ,Aldi, noon

R. Se murad rhamate ilahi hai

meen se murad mohubbate ilahi hai

Zaad se murad zamane jilani hai

Alif se murad Amane ilahi hai



Noon se murad Noor_e_ ilahi hai.
रमजान में पांच ibadaat खुसूसी होती हैं रोजा तरावीह तिलावत ए कुरान ए पाक और शबे कद्र में इबादत तो जोर कोई सिद्ध के दिल से यह पांचवा ibadat करें वह उन 5 iनामों का मालिक बन जाए!
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रमजान की तारीफ|| रमजान 2019|| रमजान मुबारक


रोजाना 1000000 गुनहगारों की जहन्नुम से रिहाई


अल्लाह की इनायत ओं और रहमतों और बक्शीश ओं का तस्करा करते हुए एक मौके पर ताजदार ए मदीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया जब रमजान की पहली रात होती है तो अल्लाह ताला अपनी मखलूक की तरफ नजर पर माता है और जब अल्लाह किसी बंदे की तरफ नजर फरमाए तो उसे कभी आ जाओ ना देगा और हर रोज 10 लाख होना गारो को जहन्नम से आजाद फरमाता है और जब 19वीं रात होती है तो महीने भर में जितने आजाद किए उनके मजे के बराबर उस रात में आजाद करता है


फिर जब ईद उल फितर की रात आती है मलाइका खुशी करते हैं और अल्लाह अपने नूर की खास दिल्ली फरमाता है और फरिश्तों से फरमाता है और मलाइका यानी फरिश्तों उस मजदूर का क्या बदला है जिस ने काम किया पूरा कर लिया फरिश्ते अर्ज करते हैं उसको पूरा पूरा आज दिया जाए अल्लाह फरमाता है मैं तुम्हें गवाह करता हूं कि मैंने इन सब को बक्श दिया सुभान अल्लाह!

रोजादार को पानी पिलाने की फजीलत


सरकारे मदीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो कोई रमजान मुबारक में रोजादार को पानी पिलाए तो वह अपने गुनाहों से इस तरह बात और साफ हो जाएगा गया अभी अपनी मां के पेट से पैदा हुआ हो सहाबा ने अर्थ की या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम यह हुक्म घर पर है यह सफर में यह उस जगह जहां पानी नहीं मिलता हो सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने फरमाया कि यह हुक्म नाम है !


Allah||Bissmillah ki barkat ki sachchi hikayat||2019


जुम्मा की हर हर घड़ी में 1000000 की मग फिरत


Tabihul gafileen me saiyaduna faqi Abdullah samarqandi ne ek tabeel Hadees Ki Hai Jisme Yaha bhi hai alamehar Ramzan Mein Roza Iftar ke Waqt Waqt 10 lakh Aise gunahgaro ko jahannam se Azad par marta hai Jin par Gunahon ki vajah se Janam Wajid ho chuka tha Nisha bajuma aur Roza Jo Mar Jani jumerat ki rubai Aftab Se Lekar Jo Mar Ke Guru WWE Aftab tak ki har har ghadi Mein Aise 10 lakh gunahgaro ko jahannam se Azad Kiya jata hai jo Azab ke Haider Karar Kiye Ja Chuke hote hain aur jab Ramzan ul Mubarak Ka Aakhri Din aata hai tu Pehli Ramzan Se Lekar ab tak jitne Azad Hue The Unki ginti ke barabar use Aakhri Din Mein Azaad Kiye Jate Hain Sabhi Jan Ameen



हज़रत सैयदना अबू हुरैरा रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है कि शहंशाह ए मदीना सुरूर है कल पसीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो ईमान की वजह से और शबाब के लिए रमजान का रोजा रखेगा उसके अगले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे और जो ईमान की वजह से सब आपके लिए शबे कद्र का काम करेगा उसके अगले गुनाह बख्श दिए जाएंगे इन तीनों हदीस हो मैं अल्लाह के किस कदर azeem-o-shaan इनामो इकराम का जिगर सुभानल्लाह रोजाना 1000000 ऐसे गुनहगारों की बख्शीश हो जाया करती है !

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Allah ki tareef ||2019


जो अपने गुनाहों के सब जहन्नम के हकदार घर आ चुके हैं और जुम्मा की तो हर हर घड़ी में 10:00 1000000 गुणाकार असमीना से आज़ाद कर दिए जाते हैं और फिर रमजान मुबारक की आखिरी शब्द की तो खूब बरकत ए हैं जितने सारे माहे रमजान में बस गए थे उसके शुमार के बराबर गुनाहगार उस रात में आ जाबे नार से निजात पाते हैं अकाश अल्लाह हम गुनहगारों और बद कारों को भी एक मकसद यादगार में शामिल कर ले और हमारी भी मग फिरत हो जाएं तमाम उम्मते मुस्लिमा की मकसद हो जाए इसलिए हमें चांद रात को इधर-उधर घूमने में टाइम बर्बाद करने की वजह इबादत में लगना चाहिए और अल्लाह से अपनी मसरत करना चाहिए इंशा अल्लाह इस दुआ के साथ कि हमारी मकसद जरूर होगी !


तो इंशाल्लाह क्यों नहीं होगी अल्लाह मोहब्बेवाला जवाब है रहमत अली लाल अमीन है गुनाहों को बख्श ने वाला है दोनों जहान का मालिक है और वह कुछ आता है कि मांगू जो मांगना चाहते हो वह खुद अपने बंदों से मोहब्बत करता है और मोहब्बत का इजहार रमजान की बरकत उसे करता है तो हमें इस महीने की अजमत को समझ कर और इस महीने की बरकत हासिल कर लेना चाहिए हमारे को भी बढ़ा दिया है दस्तरखान पर तैयारी के वक्त कैसी-कैसी नहीं होती हमारे पास चाहे गरीब हो या अमीर हर कोई अच्छे से अच्छा खा पाता है जो अगले 11 महीनों में भी नहीं खा पाता एक साथ कई कई नेमतें सजी होती हैं !


और हम मजे ले लेकर खाते होते हैं बच्चों के चेहरे पर रौनक होती हैं बुजुर्ग नमाज और इबादत में लगे होते हैं दीवार बादल जमीन हर तरफ नूर की बारिश होती होती है जो पिछले 11 महीनों में कभी नजर नहीं आती या अल्लाह हमें इस रमजान की बरकत औरतों को समझने वाला बना और हम तमाम मुसलमानों को इसकी तारीफ करने वाला बना और हर घड़ी में रमजान की बरकत ए लूटने वाला बना या अल्लाह हमें मांगना सिखा दे हमें मांगना नहीं आता हमसे वह काम ले ले जो तुझे और तेरे प्यारे महबूब मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम को पसंद है हम बहुत गुनहगार हैं तुझसे ना मांगे तो और किससे मांगे हमें नमाजी बना पर एक बार बना और अपने महबूब का चाहने वाला बना और हम से हो काम ले ले जो तुझे तेरे प्यारे महबूब को पसंद हो


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Tuesday, 30 April 2019

April 30, 2019

Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar

Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar
Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar


Assalamu Alaikum Wa Rahmatullahi Wa Barakatuh आज हम जिस महीने की बात करने वाले हैं वह महीना किसी भी पहचान का मोहताज नहीं वह महीना बरकतों रहमतों और bakshish का महीना hai जी हां अब आप समझ ही गए होंगे कि हम रमजान मुबारक की baat कर रहे हैं रमजान अल्लाह ताला ने पूरे साल की गुनाहों से बख्शीश और अपने बरकते तमाम दुनिया के मुसलमानों पर nazil करने के लिए बनाया है रमजान के महीने में nafil Namaz ko फर्ज नमाज के बराबर और फर्ज नमाज़ का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है एक नेकी का सवाब 10 गुना कर दिया जाता है और ऐसे ही 1 गुना(galti) का अज़ाब 10 गुना कर दिया जाता है रमजान का महीना इतनी बरकतों और रहमतों का है जितना हम सोच भी नहीं सकते इस महीने में फरिश्ते तमाम दुनिया के मुसलमानों के लिए दुआएं मगफिरत करते हैं और सभी के रिस्क में बरकत कर दी जाती है !
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shab e barat ||2019||in Hindi ||islamic Nelofar Azhari

सबके घरों में ज्यादा से ज्यादा पकवान बनते हैं और लोग नए कपड़े भी बनाते हैं पांचों नमाज अदा करते हैं और ईशा की नमाज के बाद ताराबी अदा की जाती है जिसके दौरान एक हाफिज_ ए_ कुरान बिना देखे कुरान पड़ता है और पीछे इमाम के सभी मुसलमान उस कुरान को सुनते हैं और अपनी Taraweeh मुकम्मल करते हैं रोजी के साथ tarawih भी पढ़ना जरूरी होता है और इसका बेइंतेहा सवाब मिलता है जितना हम सोच भी नहीं सकते इसलिए हर एक मुसलमान को मस्जिद में जाकर तरावी जरूर अदा करनी चाहिए और रमजान में मिलने वाली बरकतों का फायदा उठाना चाहिए और अल्लाह को राजी कर लेना चाहिए!



चांद कब निकलेगा Ramzan kab se shuru Honge



Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar
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Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar
Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar

रमज़ान 2019. इस शाम से:


रविवार=== 5 मई

इस शाम तक:

मंगलवार==== 4 जून

Chand निकलने के ऊपर है तारीख अलग हो सकते हैं। क्योंकि चांद का निकलना अल्लाह तबारक व ताला की मर्जी है वह चांद 4 मई को भी निकल सकता है और 5 मई को भी उसके अगले दिन से ही पहला रमजान शुरू हो जाएगा इंशा अल्लाह तबारक बताना और अल्लाह ने चाहा तो इस साल सभी मुसलमान रोजे रखकर अल्लाह इबादत कर कर कुरान की तिलावत कर कर अपने खुदा को राजी कर लेंगे और अपनी बक्शीश करवा लेंगे इंशा अल्लाह क्योंकि यह महीना बख्शीश का महीना है अल्लाह इस महीने अपनी रेहमतों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ा देता है और रिस्क में बरकत देता है इस महीने आप जितना भी खा लो खर्च कर लो कपड़े बना लो किसी भी चीज़ का हिसाब अल्लाह तबारक व ताला हम से नहीं लेता और हमें इस महीने की बरकत उसे नवाज देता है रोजे की हालत में मुसलमान पर फरिश्ते रहमते बरसाते हैं!

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रमजान के पाक महीने से जुड़ी मान्यताएं


1 हदीस के मुताबिक रमजान मुबारक में एक बार दुरु शरीफ पढ़ने का सवाब 100000 दुरु शरीफ मिलता है और हदीस में आता है कि जो कोई रमजान उल मुबारक में एक बार सुभानल्लाह कहे उसको इस कदर सवाब मिलेगा जो गहरे रमजान में एक लाख सुभानल्लाह कहने पर मिलता है और रिवायत के मुताबिक अर्श उठाने वाले फरिश्ते रोजेदारों की दुआ पर आमीन करते रहते हैं अतः तरह की वर्दी की एक रिवायत के मुताबिक रमजान के rozadar के लिए दरिया की मछलियां Aaftaar तक दुआ ए मगफिरत करती रहती हैं!

रोजा baateeni इबादत है क्योंकि जब तक हम किसी पर जाहिर नहीं करते किसी को यह इल्म नहीं हो सकता कि हमारा रोजा है और अल्लाह बात ही नहीं इबादत को ज्यादा पसंद फरमाता है जैसा की हदीसे पाक में मदीने के सुल्तान सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम का फरमान है आलीशान है कि अल्लाह की राह में पोशीदा यानी छुपा कर एक पैसा देना उन पैसों से अफजल है जो जाहिर में दिए जाते हैं यानी दूसरों को दिखा कर देने वाले पैसों से अफजल है वह एक पैसा क्यों छुपा कर दिया जाए इस मुबारक महीने के एक खुसूसियत यह भी है कि अल्लाह ने इसमें कुराने पाक नागिन फरमाया ए कुरान ए मजीद में अल्लाह का nazul _e_कुरान और माहे रमजान के बारे में फरमान है!
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रमजान की तारीफ


मुंदर जावाला आयते मुकद्दसा के विदाई हिस्से में शहरों रमजान के तहत मुफस्सिर शहीर हजरत मुफ्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाहि ताला अलैहि तस्वीर एनीमी में फरमाते हैं रमजान या तो रहमान की तरह अल्लाह का नाम है क्योंकि इस महीने में दिन रात अल्लाह की इबादत होती है लिहाजा इसे शहर ए रमजान यानी अल्लाह का महीना कहा जाता है जैसे मस्जिदों का बाकू अल्लाह का घर कहते हैं कि अल्लाह अल्लाह के ही काम होते हैं !


ऐसे ही रमजान का महीना है कि इस महीने में अल्लाह के ही काम होते हैं रोजा तरावी वगैरा तो है ही अल्लाह के मगर वह हालत में रोजा जो जाए नौकरी और तिजारत राखी जाती है वह भी अल्लाह के काम करार पाते हैं इसलिए इस महा का नाम रमजान यानी अल्लाह का महीना है या यह रमजान में मुश्तक है रमजान मौसम मे खारीफ की बारिश को कहते हैं जिससे जमीन भूल जाती है और रबी की फसल खूब होती है क्योंकि यह महीना भी दिल के दर्द गुब्बार को धो देता है और इससे आम आम की खेती हरी भरी रहती है !


इसलिए इसे रमजान कहते हैं सावन में रोजाना बारिश चाहिए और भादो में चार फिर आसान में 11 से खेती पक जाती है तो इसी तरह 11 महीने बराबर ने किया की जाती रही फिर रमजान के रोज होने इन ने क्यों की खेती को पका दिया या यह रमजान से बना जिसके माना है गर्मी या जलना क्योंकि इसमें मुसलमान भूख प्यास की तपिश बर्दाश्त करते हैं या यह गुनाह को जला डालता है इसलिए इसे रमजान कहा जाता है was Siri Ne farmaya ki Jab mahino Ke Naam Rakhe Gaye Tu Jis Mausam Mein Jo Mahina tha Usi se uska naam Hua Jo Mahina Garmi Mein Tha use Ramzan Ka Diya Gaya aur jo Mausam Mein Bahar Mein Tha use reviewal aur jo sardi mein tha Jab Pani jam raha tha use Jamal ul Awal kahan gaya is Naam Mein Har Naam Ki Koi Na Koi Wajah hoti hai aur Naam Kaam ke mutabik Rakha jata hai .

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dusri is Tilla Haath Mein Ja Baat Nahin Hamare Bade jahil ka naam Mohammad Fazil Hota aur til ka Sher Bahadur Hota aur Buddh Surat ko Yusuf Khan Kahate Hain Islam Mein ja ab Nahin Ramzan Bahut Khoob ka Jamia tha isiliye iska naam bhi Ramzan hua

रोजा ढाल है


Sarkar E Madina Sallallahu Tala Ali wale Irshad farmaya Roza Dhal Hai dozakh se Jani Jis Tarah super Jani Dhal Talwar ke bahar ko Roti Hai ISI Tarah Roj abhi jahannam Ki Aag Ka Azab se rozedar ka bacha Karta Hai kiamat Mein Jab dozakh gunagaar par Hamla our Hogi Tu Jo log rojadar Mare Hain Kahan Hai Jab Wo Samne aaenge तो दोजक रोजादार की पहचान kar Chalis Baras Ke Fasle par Unse Dur hat Jayegi!

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रोजादार को आग ना जल आएगी




  हदीस शरीफ में है कि क्या मत के दिन एक गुनहगार दोजक में डाला जाएगा आग उससे भागेगी दारोगा ए जहन्नम हज़रत सैयदना मालिक अलैहिस्सलाम दोजक की आग से कहेंगे तो इसे क्यों नहीं जला आ रही आग अर्ज करेगी मैं इसे क्यों कर पकड़ो इसके मुंह से रोजे की बू आती है हज़रत सैयदना मालिक अलैहिस्सलाम उस गुनाहगार से पूछेंगे क्या तू रोजेदार मारा था वह कह का जी हां
(अनीस उल बायजीन)

माहे रमजान इतनी बरकत और रहमतों का है रमजान मुबारक में इस कदर बरकते और रहमत है कि हमारे प्यारे आका सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया अगर बंद को मालूम होता कि रमजान क्या है तो मेरी उम्मत तमन्ना करती कि काश पूरा साल रमजान ही हो

(इब्ने khuzema)

When is Ramadan in 2019: रहमतों और बरकतों का ये महीना अच्छे कामों का सबब देने वाला होता है. इसी वजह से इस माह को नेकियों का माह भी माना जाता है. इस माह को कुरान शरीफ के नाजिल का महीना भी माना जाता है.  रमजान इतना 5 महीना है कि अल्लाह तबारक व ताला ने अल्लाह के रसूल हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम के ऊपर रमजान के महीने में ही कुरान नाजिल फरमाया रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और रहमतों की हवाएं दुनिया पर भी आती हैं!

रोजेदार की मुंह की BHU

अल्लाह तबारक व ताला को रोजेदार इतना पसंद होता है कि उसके मुंह में जो जिसे हम बदबू भी कह सकते हैं वो आती है वह अल्लाह ताला को मुश्क की खुशबू से भी ज्यादा पसंद है और वह रोजेदार की हर एक चीज से मोहब्बत करता है अल्लाह रोजेदार पर रहमते बरसाता है !


Rosy Karobar Mein Barkat Ka Mahina

हजरत सैयद होना सलमान फारसी रजि अल्लाह ताला अन्हा फरमाते हैं कि महबूब ए रहमान सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने मा हे श्याम आन के आखिरी दिन बयान फरमाया है लोगों तुम्हारे पास अजमत वाला बरकत वाला महीना आया वह महीना जिसमें एक रात ऐसी भी है जो हजार महीनों से बेहतर है इस माह ए मुबारक के रोज़े अल्लाह ने फर्ज किए और इसकी रात ने किया म्यानी जाकर खुदा की इबादत करने पर जो इस में नेकी का काम करें तो ऐसा है !


जैसा और किसी महीने में फर्ज अदा किया और इसमें जिसने फर्ज अदा किया तो ऐसा है जैसे और किसी दिनों में 70 फर्ज अदा किया यह महीना सब्र का है और सब्र का सबब जन्नत है और यह महीना मुहासा यानी हमारी और भलाई का है और इस महीने में मोमिन का रिस्क बढ़ा दिया जाता है जो इसमें रोजादार को इफ्तार कराएं उसके गुनाह के लिए मग फिरत और उसकी गर्दन आंख से आजाद कर दी जाएगी और इस स्टार कराने वाले को वैसा ही सवाब मिलेगा जैसा रोजा रखने वाले को मिलेगा बगैर इसके कि उसके अंदर में कुछ कम हो हमने आज की या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम का हर शख्स वह चीज नहीं पाता जिससे रोज आfतार कराएं

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Allah||Allah ke |zikar| ki Fazilat


आप सल्ला वसल्लम ने इरशाद फरमाया अल्लाह ताला यह सब आप तो उस शख्स को भी देगा जो एक घूंट दूधि या एक खजूर या एक घूंट पानी से रोजा इफ्तार कराएं और जिसने रोजादार को पेट भर खिलाया उसको अल्लाह मेरे कौशल आएगा कि कभी प्यासा ना होगा यहां तक कि जहन्नम में दाखिल हो जाए यह वह महीना है कि इसका अब बोल यानी 10 दिन रहमत है और इसका औसत दरमियानी 10 दिन मत है और आखिरी आखिरी 10 दिन से आजादी है जो अपने नाम पर इस महीने में नरमी करें यानी काम कमले अल्लाह उसे बख्श देगा और जहन्नम से आजाद कर देगा अल्लाहू अकबर माहे रमजान की भी क्या खूब बिकते हैं!


रमजान में जन्नत सजाई जाती है



Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar
Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar


रमजान उल मुबारक के इस्तकबाल के लिए सारा साल जन्नत को सजाया जाता है चुनाव चिन्ह देते सैयदना अब्दुल्लाह इब्ने उमर रजि अल्लाह ताला अनहो से रिवायत है कि ताजदार ए मदीना सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया बेशक जन्नत इब्तिदा ई साल से आई दा साल तक रमजान मुबारक के लिए सजाई जाती है और फरमाया कि रमजान शरीफ के पहले दिन जन्नत के दरवाजे के नीचे से बड़ी बड़ी सफेद आंखों वाली hure पर हवा चलती है और वह अरz करती है परवरदिगार अपने बंधुओं में से ऐसे बंदों को हमारा shohar (husband)बना जिनको देखकर हमारी आंखें ठंडी हो और जब वह हमें देखें तो उनकी आंखें ठंडी हो


(Mishkaat shareef)


दो रमजान के Darmiyaan ke Gunah Maaf

हजरत ए सईया दो ना आर्म्स रजि अल्लाह ताला अनहो हजरत ए सैयदना हास्य मार दे अल्लाह ताला अनु से नकल करते हैं एक रमजान दूसरे रमजान तक एक हज दूसरे हस्तक और 1 + दूसरे जुम्मा तक एक नमाज दूसरे नमाज तक के गुनाहों का कफारा बनते हैं जबकि कबीरा गुनाह से बचा रहे!
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Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम


पूरे रमजान khear hi khear hai

Amirul momineen Hazrat Syedna Umar Farooq Razi Allah Tala anha Ramzan ul Mubarak Ka Mahina tasrif Lata Tohfa Maiya Kaat is mahine ko khush aamdeed hai jo Hamein Park karne wala hai pura Ramzan Hai Har Hai Din ka roza ho ya Raat Ka Kiya is mahine Mein kharch karna Jihad Mein kharch karne ka darja Rakhta hai .


isliye is mahine mein jyada Se Jyada kharch karna chahi aur logoko taqseem karna chahiye Apne Pariwar Ghar Walon Ko Jyada Se Jyada acchi name khilani chahiye Kyunki in Kabhi sawab aapko Jyada Se Jyada Milta Hai


रमजान कैलेंडर


Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar

Ramzan 2019 ||Ramzan kab hai ||Ramzan calendar


  1. बख्शीश का बहाना

हजरत ए सईया दो ना मौला अली फरमाते हैं अगर अल्लाह को उम्मते मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वाले वसल्लम पर अज़ाब करना मकसूद होता तो उनको रमजान और सूरह कुल वल्लाह हूं अहद हरगिज़ ना इनायत फॉर माता

मेरे प्यारे भाई बहनों रमजान अल्लाह ने हमें बड़े नसीब से इंशा अल्लाह अगर इस बार भी आता किए तो हमें इस को यूंही जाया नहीं करना है और रोजा रख कर इबादत करनी है और अपने अल्लाह को राजी करना है तोबा करनी है दुरूद ज्यादा से ज्यादा पढ़ना है और जितना हो सके गरीबों में तक्सीम करना है और रोजेदारों का रोजा खुलवाने की कोशिश करना है और पड़ोसियों का हक उन्हें जरूर देना है रमजान बड़ी ही बरकत और रहमतों का महीना है हमें इससे फायदा उठाना चाहिए और अपने रब को राजी कर लेना चाहिए क्या पता अगले पल मौत हो मौत का बंदा हर वक्त कर्जदार रहता है


कोई नहीं जानता यह उसका आखिरी पल हो सकता है और फिर बाद में पछताने के के काश मैंने दुनिया में अल्लाह से तौबा कर ली होती दुनिया की काम में लगने से ज्यादा अल्लाह के कामों में लग गया होता यह सोचने के सिवाय हमारे पास कुछ भी ना होगा हमें अल्लाह के दिए रिस्क में शुक्र अदा करना चाहिए और हमेशा उसकी पढ़ाई होनी चाहिए शुक्र करने वाले बंदे हो अल्लाह बहुत पसंद फरमाता है और कयामत में उसके थोड़े से नेकीयों पर उसे राजी हो जाएगा इंशा अल्लाह आपको aur Hamein Tamam Duniya Ke musalmano ko Ramzan Ki Izzat karne wala aur Sahi tarike se Roza rakhne wala banayan Ameen ya rabbul Alamin Agar aapko yeah post " Ramzan 2019 Ramzan kab hai Ramzan calendar "Pasand Aaye To please Jyada Se Jyada share Karen aur aur FIR Milte Hain Ex Post Mein Inshallah Zindagi Rahi to 

Sunday, 7 April 2019

April 07, 2019

shab e barat ||2019||in Hindi ||islamic Nelofar Azhari

shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari
shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari


Assalamu Alaikum Wa Rahmatullahi Wa Barakatuh आज हम जिस त्यौहार की बात करने वाले हैं वह त्यौहार मुसलमानों के लिए बेहद इंपॉर्टेंट है क्योंकि रात में आने वाले साल के सभी मामला तय किए जाते हैं अल्लाह ताला हर मुसलमान का नाम आया माल तय करता है कि आने वाले साल में कौन पैदा होगा किसको कितनाRizk मिलेगा किस की कब मौत होगी यह सब इस रात में यानी शबे बारात की रात में हो जाता है!


अल्लाह ताला इस रात दुआओं को कुबूल फरमाता है यह रात बड़े ही बरकत वाली रात है इस रात में सभी मुसलमान पुष्कर कर कौशलकर कर नहा धोकर पाक साफ होकर नए कपड़े पहनते हैं और नमाज मगरिब के बाद से ही सारी रात इबादत में लग जाते हैं और अल्लाह से रो रो कर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से उम्मीद करते हैं कि वह हमें बख्श देगा और अल्लाह ताला बड़ा मेहरबान और रहम फरमा ने वाला है वह इस रात के सदके में मुसलमानों के गुनाहों को बख्श देता है और वह फरमाता है!
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शब ए बारात का मतलब


शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहाँ शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत(महिमा) की रात मानीजाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।

हिंदुस्तान में शबे बरात 2019 कब मनाई जाएगी

shab e barat 2019 date in india


Mid-Sha'ban 2019 will begin in the evening of

Saturday----20 April

and ends in the evening of

Sunday----21 April


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shab e barat ka chand 2019

Hafte ko yani 6 April 2019 ko chandrat thi
आज wa roze इतवार शबे बारात की 1 तारीख है इंशा अल्लाह तबारक व ताला 20 अप्रैल 2019 को शब ए बारात होगी!

shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari
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shab e Barat kya hai|| शब ए बारात को और किन किन नामों से पुकारा जाता है


शब ए बारातअरब में लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। यह शब-ए-बारात के नाम से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और नेपाल में जाना जाता है।

shab e Barat history in Hindi


अल्लाह की रहमतों के महीने रमजान से पहले Bando की मगफिरत का महीना सावान आता है इस महीने की बरकत से अल्लाह ताला अपने तमाम गुनाहगार बंदो को माफ फरमाता है और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो ताला अलैहि वसल्लम को जिब्रील अलैहिस्सलाम ने बताया था कि शबे बारात की रात में अल्लाह ताला आखिरी आसमान पर जलवा अफरोज होता है और अपने बंदों को आवाज देता है कि है कोई मकसद चाहने वाला है कोई रिस्क mangne वाला है कोई binary se shift chane वाला है कोई तौबा करने वाला मैं आज उसको हर चीज अदा करूंगा!


शबे बारात की रात में अल्लाह से जो भी चाहो मांग सकते हो वह अपने बंधु को पता करने के लिए खुद आवाज देता है कि आओ जो चाहो मांग लो यह मांगने की रात है हमें इस रात की कद्र करनी चाहिए और पटाखे छोड़कर रास्तों गलियों में घूम घूम करे इस रात को बर्बाद नहीं करनी चाहिए बलकेश रात में जितनी हो सके इबादत और दुरुद ओ सलाम पढ़ना चाहिए!
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नफिल नमाज भी पढ़ सकते हैं जिन लोगों की नमाज कजा ना हो वह नकली नमाज़ पढ़े लेकिन जिन लोगों की नमाज कजा हो वह कर जाए और पढ़े जितनी हो सके उसमें सारी अदा करें और उसके अलावा जितना हो सके सलाम दुरुद ओ सलाम हमारे आका मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो ताला वसल्लम पर भेजता रहे क्योंकि दुरुद ओ सलाम से बढ़कर कोई और इबादत नहीं और जो चाहे वह कुरान की तिलावत करें और बीच-बीच में रो रो कर अपने अल्लाह से मांगने अपने गुनाहों की माफी मांग ले अपने लिए रिस्क और मांग ले अपनी बीमारियों से शिफा क्योंकि उस रात को वोट देने वाला दे रहा है बस हमें मांगना नहीं आता हमारा रब तो हमें हर बार मौका देता है कि हम आज भी तौबा कर ले तौबा करने का मतलब अल्लाह की तरफ लौटना है यानी तौबा करो और अल्लाह से पनाह मांगू तौबा करने वाले लाखो बेहद पसंद है!


 इस रात में हर गुनहगार की बख्शीश कर दी जाती है सिवाय कुछ ऐसे लोग हैं जिनकी इस रात में भी बक्शीश नहीं होती जिसमें पहला है Sudh खाने वाला दूसरा है वाले दान का ना फरमान यानी अपने मां बाप का कहना ना सुनने वाला और तीसरा है शराबी इन तीनों तरीके के लोगों की बख्शीश इस रात में भी नहीं होती ना हमें और आपको इन तीनों चीजों से बचने वाला बनाएं आमीन

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shab e Barat aamal

शबे बारात की रात में करने वाले कुछ खास अमल में से यह अमल है पहला gusl करकर पाक साफ या फिर नए कपड़े पहनना खुशबू लगाना सुरमा लगाना और उसके बाद पांचों नमाज ए फर्ज अदा करना और ज्यादातर मस्जिद में सलातो तस्वीर की नमाज का इंतजाम किया जाता है हो सके तो सलातो तस्वीर की नमाज अदा करना उसके बाद कब्रिस्तान जाना और मुर्दों को पढ़कर बक्शना मुर्दों के लिए दुआएं magfirat करना के बाद मस्जिद में जाकर औरतें अपने घरों में पर्दे के साथ बैठकर नमाजे कजा उमरी अदा करना

shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari
shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari


और जिन की नमाजे कजाना हो उन्हें नकली नमाज पढ़ना और बीच बीच में अल्लाह से नफरत और तोबा मांगना कुरान की तिलावत दुरुद ओ सलाम पढ़ना खासकर फज्र के वक्त दिल बड़ा कर दुआ मांगना यह सभी शबे बारात की रात के अमल में शामिल है अल्लाह आपको और हम सबको इस रात का कद्र करने वाला और तौबा करने वाला बनाएं!

shab-e-Barat about

हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने एक हदीस में याद फरमाया के शाबाद मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है सच में शाहबान खूब बरकत वाला महीना है

 शब ई बारात का रोजा की फजीलत


शबे बारात की सुबह में मुसलमान लोग रोजा रखते हैं यह रोजा बड़ी बरकत वाला है और रमजान के रोजे की पहली शुरुआत है इस रोजे के 15 दिन बाद ही रमजान शुरू हो जाते हैं यह महीना बड़ा ही बरकत और रहमत वाला है शब ए बारात के दिन मुसलमानों के घर में नजरों niyaz होते हैं और यह ज्यादातर हलवे पर दिलाई जाती है और मुसलमान अपने रिश्तेदारों को यह Niyaz भेजते हैं!

shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari
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शब ए बारात ki Niyaz Sasural bhejna


जिन लड़कियों की शादी हो जाती है उनकी मायके से शबे बारात की न्यास का हलवा और भी पकवान पक उनकी ससुराल भेजे जाते हैं और उसके साथ कुछ पैसे भी भेजे जाते हैं 200 500 1000 जिसकी जितनी हैसियत हो वह अपनी हैसियत के मुताबिक अपनी बेटी की ससुराल नियाज़ और पैसे भेजता है Yeh Silsila
काफी पुराना है और पुराने भक्तों से ही चला आ रहा है और आज भी मुसलमान इसी तरीके से शबे बारात मनाते हैं अर्श से फर्श तक फरिश्तों का आना जाना लगा रहता है

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शब ए बारात को शबे कद्र की रात भी कहा जाता है जैसे शबे कद्र में लोग सारी रात जाग कर इबादत में लगे रहते हैं और अल्लाह से अपनी गलतियों की माफी मांगते हैं ठीक उसी तरह शबे बारात की रात में भी लोग सारी रात इबादत में मशरूफ रहते हैं और अल्लाह ताला से रो-रो कर अपनी मौत मांगते हैं और उम्मीद करते हैं कि अल्लाह तबारक व ताला हमें माफ करने वाला है!

शबे बारात की रात में कब्रिस्तान जाना

शबे बरात की रात तमाम मुसलमान मर्द कब्रिस्तान जाते हैं कब्रिस्तान को बहुत अच्छी तरीके से सफाई कर कर सजाया जाता है लाइट्स वगैरह का इंतजाम किया जाता है और सभी मुसलमान मर्द अपने दादा परदादा वाद्य अमी जो भी लोग उनके मर चुके हैं उनके लिए कब्रिस्तान जाकर दुआएं नफरत करते हैं और कब्रों पर फूल डालते हैं शबे बारात में कब्रिस्तान जाने का बहुत ज्यादा सवाब है इसलिए सभी मुसलमान मर्द अपने छोटे बच्चों को भी कभी स्थान दिखाने जाते हैं!
shab e barat ||2019||in Hindi||islamic Nelofar Azhari
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कब्रिस्तान को बहुत खूबसूरत तरीके से दुल्हन की तरह सजाया जाता है और वहां पर अपने जीवों के लिए पढ़ाई कर कर उनको बक्शी जाती है जिससे उनके गुनाह माफ हो सके और वैसे भी जब कोई मुसलमान कुछ भी पढ़ कर किसी मुद्दे को बचता है तो उसका ज्यादातर सवाद पढ़ने वाले को मिलता है और मुर्दे को उसका सवाब कम मिलता है लेकिन वह सवाब मुर्दे को एक थाली में सजाकर पेश किया जाता है और वह मुद्दा उस पढ़ने वाले को दुआएं देता है कि अल्लाह तुझे अच्छा रखे तूने मुझे यह तोहफा दिया ना तुझे बेहतर तोहफा दे इसलिए मुसलमानों को कब्रिस्तान जाकर पढ़ाई जरूर करनी चाहिए और मुर्दों के लिए मुसीबत की दुआ करनी चाहिए


shab e Barat book in Urdu pdf download

Shab e Barat को लेकर कई किताबें उर्दू में मौजूद हैं जो इंटरनेट पर आपको मिल जाएंगे जिसकी 1 पीडीएफ फाइल गले में आप को दे देती हूं आप इस पर क्लिक कर कर इस पीडीएफ फाइल को डाउनलोड कर सकते हैं और शबे बारात के बारे में और भी ज्यादा मालूमात उर्दू में हासिल कर सकते हैं इस पीडीएफ फाइल को डाउनलोड करने के लिए नीचे लिखे हुए उर्दू बुक्स शब ए बारात पेज 4 पर क्लिक करें
URDU BOOK: Shab-e-Barat | Pages: 24

Shab e Barat Mein maafi mangna

 * शबे बारात के इस बा बरकत महीने में मेरी आप सभी से इंतजार है कि आप ज्यादा से ज्यादा इबादत करें और अल्लाह से तौबा करें और सभी मुसलमानों के लिए यह कहकर दुआ करेंगी या अल्लाह उम्मती मुस्लिमों को बख्श दे और मेरे लिए भी पांच वक्त की कभी न माल न छूटे यह दुआ करें प्लीज आपकी बड़ी मेहरबानी होगी अल्लाह किसी भी मुसलमान से एक वक्त की भी नमाज ना छूट जाए आमीन अल्लाह ने यह महीना हमें पता किया क्या पता अगले साल किस महीने में हम इस दुनिया में हो ना हो!

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 यह शब ए बारात हमारी आखिरी शबे बरात ना हो हम कुछ नहीं जानते अल्लाह ही हमारे बारे में जानता है कि अगला फल क्या होने वाला है हमारी जिंदगी है या मौत मौत आने से पहले आखिरत की तैयारी कर लीजिए और अपने लिए लोगों से दुआ करवाएं और जो भी आपकी गलती हुई हो किसी से भी उससे माफी मांगी थी क्योंकि अल्लाह ताला उस इंसान को माफ नहीं करेगा जब तक वह इंसान जिसका हम ने बुरा किया वह हमें माफ कर दे इसलिए फॉरेन माफी मांग लीजिए क्या पता अगला पल हमारा आखिरी पल हो और हम माफी मांग ले जिससे हमारे ही बेतराय हैं माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता बल्कि अल्लाह की नजर में उसके गुनाह माफ हो जाते हैं जो माफी मांग लेता है अपने किसी का भी दिल दुखाया हो किसी से भी कोई भी ऐसी बात कह दी हो जाने अनजाने जो उसे पसंद ना आई हो या आपका पति के बीच झगड़ा हो या आपकी बातचीत बंद हो फॉरेन सुला कर लीजिए और माफी मांगने में पहल कीजिए!

जो पहले माफी मांगता है उसके दर्जा ज्यादा बुलंद होते हैं शब ए बारात में माफी मांगना बेहद जरूरी होता है क्योंकि इसी रात हमारे नाम आया माल पूरी साल के लिए तैयार होता है अच्छे वालों से हमारे आने वाले साल की शुरुआत करवाएं या रब्बुल आलमीन


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Thursday, 21 March 2019

March 21, 2019

Meaning|| of inshaallah|| in Hindi , English||islamic nelofar azhari

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Meaning|| of inshaallah|| in Hindi , English||islamic nelofar azhari
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Inshallah, अल्लाह ताला ने या (खुदा करीम ने चाहा तो ,उसकी रजा हुई तो या फिर उसकी मर्जी हुई

तो यह काम जरूर हो जाएगा इंशा अल्लाह इस तरीके से कहा जाता है जिस काम में भी इंशाल्लाह कहां जाता है वह Allah के रहमों करम से जरूर पूरा होता है
मान लीजिए किसी ने कहा क्या आप आज बाहर जाएंगे तो दूसरा मुसलमान जवाब देता है इंशा अल्लाह जरूर जाऊंगा इंशा अल्लाह के नाम से उनकी पूछी हुई बात में और उनकी जवाबदेही बात में अल्लाह का नाम शामिल होने की वजह से बात में बरकत आ जाती है इसीलिए मुसलमान अपनी हर बात में ज्यादातर इंशा अल्लाह लव्स इस्तेमाल करता है!
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Definition of inshallah


if Allah wills : God willing


History and Etymology for inshallah

Arabic in shā' Allāh


ʾIn shāʾa llāh (अरबी: ءن شال الله, llin shāhua llāhu; उच्चारण [ʔɪn ʃাːʔɑ ɫˈɫɑːh]), भी inshallah, शहीद इंशाअल्लाह में, "ईश्वर की इच्छा" या "यदि ईश्वर की इच्छा है" के लिए अरबी भाषा अभिव्यक्ति है यह वाक्यांश एक कुरानिक आदेश से आया है, जो मुसलमानों को भविष्य की घटनाओं के बारे में बताते हुए इसका उपयोग करने की आज्ञा देता है। (कुरान )इस वाक्यांश का उपयोग आमतौर पर मुसलमानों, अरब ईसाइयों और अन्य धर्मों के अरबी-भाषियों द्वारा घटनाओं के संदर्भ में किया जाता है। भविष्य में एक उम्मीद होगी। यह इस विश्वास को व्यक्त करता है कि जब तक ईश्वर की इच्छा नहीं होती है और तब तक कुछ भी नहीं होता है जब तक कि वह सभी मानव इच्छाशक्ति को प्राप्त नहीं कर लेगा।

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inshallah


(also insh'allah, insha'allah)

EXCLAMATION

If Allah wills it.

EXCLAMATION

Origin

From Arabic in šā' Allāh.

Pronunciation--inshallah /ɪnˈʃalə/

Insha'allah

Meaning : meaning 'god-willing' or 'if god is willing'

जिसका अर्थ है : 'ईश्वर की कृपा हो या 'भगवान की इच्छा है , तो'

Example ___I'm coming home, I'll be there by Tuesdaymorning, inshallah.

ना ना कहने का मुस्लिम तरीका।

Bae: क्या आप सुनिश्चित हैं कि आप मुझसे शादी करने जा रहे हैं? हम पहले ही यह सब कर चुके हैं।

Nae: इंशाल्लाह, मैं करूँगा!

इंशाअल्लाह


एक अरबी शब्द, इसका मतलब शाब्दिक अर्थ है "अल्लाह (ईश्वर) चाहिए" लेकिन जब इसका इस्तेमाल किया जाता है तो इसका अर्थ है "नहीं" कम से कम हानिकारक तरीके से।
इसका उपयोग आमतौर पर "बाहर जाने" या "यात्रा की योजना बनाने" के अनुरोध के जवाब के रूप में किया जाता है।
यह अपने बच्चों के अनुरोध के जवाब के रूप में अरब माताओं के बीच व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
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इंशा अल्लाह इस तरीके के वाक्य में प्रयोग होता है
जैसे".


- माँ हम लंच के बाद पार्क जा सकते हैं?
- इंशाल्लाह बेटा जरूर जाना
- कल आप हमारे यहां आना
- इंशाल्लाह जरूर आएंगे।
_क्या आप मेरा यह काम करेंगे
_ इंशा अल्लाह जरूर करूंगा


अंग्रेजी में inshaallah को क्या कहते हैं?


इंशा अल्लाह

अल्लाह में अक्सर इंशाअल्लाह या इंशाल्लाह के रूप में रोमांस किया जाता है, "ईश्वर के लिए तैयार" या "अगर अल्लाह चाहता है" के लिए अरबी है। इस शब्द का उपयोग इस्लामी दुनिया में किया जाता है, लेकिन यह मध्य पूर्व में ईसाई समूहों में, अफ्रीका के कुछ हिस्सों में और कुछ पुर्तगाली और स्पैनिश बोलने वालों द्वारा भी आम है


मालटिस् संपादित करें


माल्टीज़ में एक समान अभिव्यक्ति मौजूद है: जेका अल्क जरीद (यदि अल्लाह इसे चाहेगा)। माल्टीज़ सुसीलो-अरबी से उतारी जाती है, जो सिसिली में और बाद में माल्टा में 9 वीं शताब्दी के अंत और 12 वीं शताब्दी के अंत के बीच विकसित हुई।

इबेरियन प्रायद्वीप पर


स्पैनिश और पुर्तगाली भाषाओं में ओजाल (स्पैनिश) और ऑक्साला (पुर्तगाली) शब्द अरबी अभिव्यक्ति ʾin shāa llāh से आते हैं। [languages]

सर्बो-क्रोशियाई [संपादित करें]


सर्बो-क्रोएशियाई में, अभिव्यक्ति "ako बोग दा / ако Бог да" एक दक्षिण स्लाव अभिव्यक्ति अरबी से ली गई है। बाल्कन पर ओटोमन शासन के कारण, यह बोस्निया और हर्जेगोविना, सर्बिया, क्रोएशिया, स्लोवेनिया, उत्तरी मैसेडोनिया और मोंटेनेग्रो के पूर्व-यूगोस्लाव देशों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।

इंशाअल्लाह - मतलब हिंदी में

Get definition, translation and meaning of इंशाअल्लाह in hindi. Above is hindi meaning of इंशाअल्लाह. Yahan इंशाअल्लाह ka matlab devanagari hindi dictionary bhasha mai (इंशाअल्लाह मतलब हिंदी में) diya gaya hai.

What is Hindi definition or meaning of इंशाअल्लाह ? (Inshaallah ka hindi arth, matlab kya hai?).

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Allah||Allah ke |zikar| ki Fazilat

https://www.islamicnelofarazhari.com/2019/02/allah-zikar-ki-fazilat.html?m=1


इंशाल्लाह

English meaning of Inshallah

God willing (Islam)

God willing


(Arabic English) God willing; Deo volente; expressing the speaker’s wish for a given future event to occur, especially in an Arabic-speaking country or Islamic context.

God willing; Deo volente; expressing the speaker’s wish for a given future event to occur, especially in a Muslim country or Islamic context

इंशाल्लाह लोगों के द्वारा बोला जाने वाला शब्द है जो अब हर मुसलमान अपनी बात में इस्तेमाल करता है मान लीजिए किसी को कहना है कि कल आप हमारे यहां आना तो सामने वाला व्यक्ति उसको जवाब में बोलेगा इंशा अल्लाह अल्लाह ने चाहा तो जरुर आएंगे इंशा अल्लाह कहने का मतलब यह है कि कल का हमें कुछ पता नहीं कल क्या होने वाला है अगर अल्लाह ने चाहा तो जरूर आएंगे!
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जाके में या बात में अल्लाह का नाम आ जाता है वह बात पूरी हो जाती है और बरकत वाली हो जाती है और बाद में बरकत आ जाता है इसलिए मुसलमान लोग अपनी हर बात में इंशा अल्लाह नजर न लगे इसलिए बोलते हैं माशा अल्लाह अल्लाह का शुक्र अदा करना हो तो बोलते हैं अल्लाह अल्हम्दुलिल्लाह इस तरीके से बात करने से इंसान की की हुई बातों में बरकत आ जाते हैं और अल्लाह नाम शामिल होने की वजह से दिल को सुकून मिलता है और अल्लाह फरमाता है कि जो भी इंसान मेरा जिक्र करता है तो मैं उसका जिक्र करता हूं इसलिए मुसलमान अपनी हर बात में इंशा अल्लाह लगाता है इंशा लगने से अल्लाह का नाम बात में आ जाता है!


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