Tuesday, 25 December 2018

दुनिया कैसे बानी" रु–ए–ज़मीन की इब्तेदा -खिल्क़त का आगज़-2018

दुनिया कैसे बानी" रु–ए–ज़मीन की इब्तेदा -खिल्क़त का आगज़-2018

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बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम


हदीस शरीफ में है कि असल में अल्लाह तबारक व ताला की जादू आसिफा थी और कोई चीज न थी अल्लाह ताला ने अपनी कुदरत एका मिला से तमाम चीजों को पैदा फरमाया सबसे पहले अल्लाह ताला ने अपने नूर से हुजूर सैयद आलम सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के नूर को पैदा फरमाया फिर हुजूर के नूर से सारी मखलूक को इस तरह पैदा फरमाया कि इस नूर ए मोहम्मदी को 400 में किया एक हिस्से से कलम को पैदा फरमाया दूसरे से तीसरे हिस्से से अर्श छोटे हिस्से को फिर चार हिस्सों में बांटा पहले हिस्से से उठाने वाले फरिश्ते दूसरे हिस्से से जमीन को तीसरे हिस्से से जन्नत और दोजक फिर उसी तरह तमाम चीजों को पैदा फरमाया

कलम

यह अल्लाह की ऐसी मखदूम है जिसने अल्लाह ताला के हुक्म से उसके इल्म के मुताबिक तमाम मखलूक की तकदीर अल्लाह पर लिखी यह वाक्य जमीन आसमान के पैदा होने से 50000 बरस पहले का है

लोह

यह अल्लाह ताला की ऐसी मखलूक है जिस पर अल्लाह ताला का कलाम लिखा है यह तख्ती सफेद मरवारीद की है और इसके चारों किनारों पर या सिर्फ जुड़ा हुआ है इसकी लंबाई इतनी है जितना जमीन आसमान का फासला और चौड़ाई पूरब से पश्चिम के बराबर।

अर्श

यह बहुत बड़ा नूरानी तक है जो जमीन वह आसमान को घेरे हुए हैं लोहे महफूज उसी पर रखी है इस शख्स को चार फरिश्ते उठाए हुए हैं।

कुर्सी

यह अर्श आश्रम के नीचे हैं और यह भी जमीन और आसमान को घेरे हुए हैं आसमान साथ हैं जमीन से पहले आसमान की दूरी 5 बरस की रहा है फिर पहला आसमान भी इतना ही मोटा है फिर वहां से दूसरे आसमान तक भी इतनी ही दूरी है उसी तरह सातवें आसमान तक यही सिलसिला है साथ में आसमान के ऊपर अश्व कुर्सी लव व कलम और जन्नत और दोजक है।
इसी तरह जमीन के भी साथ सबके हैं लेकिन एक दूसरे से मिले हुए हैं दरमियां में फासला नहीं जमीन आसमान दोनों अपनी जगह ठहरे हुए हैं घूमते नहीं हम मुसलमान हैं और हमारा यही अकीदा है कुरान और हदीस में यही बताया गया है।

जमीन आसमान के पैदा होने से पहले पानी ही पानी था उसी पानी पर जमीन बिछाई गई सबसे पहले उस जगह की जमीन बनी जहां काबा है और धोनी की शक्ल में जो बुक बुखार रात उठे उनसे आसमान बनाए गए और यह सब कुछ 6 दिन के अंदर हुआ फिर जमीन पानी के ऊपर होने की वजह से हिलती थी लिहाजा पहाड़ पैदा फरमा कर ठहराया इसी तरह अल्लाह ताला ने जमीन आसमान में अपनी बेशुमार मखलूक को पैदा फरमाया।

मशहूर कॉल यह है कि कुल 18000 तरह की मखलूक पैदा फरमाया लेकिन यही सही यह है कि अल्लाह ताला बेहतर जानरता है हम उन चीजों का इल्म नहीं रखते वह बेशुमार हैं उस जमीन पर इंसानों से पहले और दूसरी मखलूक भी आवाज रह चुकी है अल्लाह बेहतर जानता है कि वह कौन-कौन सी मखलूक थी।

हां सही रिवायत है उससे पता चलता है कि इंसान उसे पहले इस जमीन पर अल्लाह ताला की मखलूक में जीना बातें और उनका समाना 50000 साल तक रहा जब उन्होंने कितना और फसाद फैला है तो उनको पहाड़ों और जीरो में भेज दिया गया

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रू –ए–ज़मीन की इब्तेदा (खिल्क़त का आगाज)
की पूरी तफ़्सीर


बिस्मिल्लाह –हिर्रहमान –निर्रहीम

सबसे पहेले कलम कि तख्लीख:

कहा जाता है के , अल्लाह ताला ने रू –ए –ज़मीन की इब्तेदा मे सब से पहेले कलम (पेन) को पैदा किया, रिवायतों मे है की ज़मीन की तख्लीख (बनाने) के तक़रीबन 50,000 साल पहेले अल्लाह ता’आला ने कलम (पेन) को पैदा किया। अल्लाह ता’आला ने कलम (पेन) को हुक्म दिया, “लिख (write)” तो सब से पहले क़लम (पेन) ने बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निररहिम लिखा। यानी की अल्लाह के नाम से शुरू, जो की बहुत रहम करने वाला और बहुत महरबान है.

अल्लाह ता’आला ने फ़िर हुक्म दिया, “लिख!” इस पर कलम ने अर्ज़ किया “ऐ मेरे रब ! क्या लिखू ?” अल्लाह ता’आला ने हुक्म दिया “अब से क़यामत तक जो भी होने वाला है वह सब लिख दे।” और क़लम ने तब से लेकर क़यामत तक जो भी होना है वह सब लिख दिया जो की लोहे महेफ़ूज मे दर्ज़ है।


 फरीश्ते, जिन्न और इन्सान आदम (अलैहि सलाम) की तख्लीख:

फ़िर अल्लाह ता’आला ने फरीश्तों को नूर से पैदा किया, जिन्नों को आग से और इन्सान को मिट्टी से पैदा किया। फरीश्ते दिन-रात अल्लाह की इबादत और हम्द-ओ-सना करते है और अल्लाह ने उन्हे जिस काम पर मा’अमूर किया है फरीश्ते उसपे अमल करते है और थकते भी नहीं।

अल्लाह ने हम इन्सानो से पहले जिन्नों को आग से बनाया और उन्हे ज़मीन का खलीफ़ा (वारिस) बनाया, इब्लीस जो जिन्नों मे से था उसका नाम अजाजिल था और वह बहुत इबादत गुज़ार था। इस वजह से वो अल्लाह के मूकरब बन्दो मे से था। यहा तक की वह जन्नत मे भी बिना रोक-टोक आया जाया करता था। अल्लाह ता’आला ने जिन्नों को अपने अपने इबादत के लिए बनाया था, लेकिन जिन्न सरकश हो गये और ज़मीन पर फ़साद करने लगे, क़तल-ओ-गैरत करने लगे।

बक़ौल कुराने मस्जिद मे अल्लाह ने फरिश्तों से कहा,
“मै इन्सान को ज़मीन का खलीफ़ा (वारिस) बनाने वाला हूँ, इस पर फरिश्तों ने हादसा ज़ाहिर किया की इन्सान भी ज़मीन पर फ़साद करेगा और क़तल-ओ-गारत करेगा. तेरी इबादत के लिए हम ही काफी है, तब अल्लाह ता’आला ने कहा “मैं जो जानता हूँ वो तुम नहीं जानते.’’

अल्लाह ता’आला ने मिट्टी के ख़मीर से आदम का पुतला तयार किया। एक रिवायत मे है की आज जहा खान-ए-काबा है, उस जगह से मिट्टी ली गयी और एक रिवायत मे है की सात (7) अलग –अलग जगहों से मिट्टी ले कर ख़मीर तयार किया गया और उस से आदम का पुतला बनाया गया।


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इब्लीस का तकब्बुर और अल्लाह के हुक्म की नाफरमानी:

अल्लाह ता’आला ने फरिश्तों से कहा “जब मैं इस पुतले मे अपनी रूह फुंकू(ड़ालू) तो तुम सब सज़्दे मे गिर जाना” जब अल्लाह ता’आला ने आदम के पुतले मे रूह डाली तो सब ने सज़्दा किया सिवाए इब्लीस के.”

अल्लाह ता’आला ने इब्लीस से पूछा, “जब सब ने सज़्दा किया तो तूने क्यों नहीं किया ?, तुझे किस चीज़ ने रोका ?. इब्लीस ने अपनी गलती नहीं मानी और तकब्बुर(घमण्ड) से कहा. “मै इस से अफ़जल(बेहतर) हूँ, तुने मुझे आग से पैदा किया और इसे सड़ी हुयी मिट्टी (खनकती हुयी मिट्टी) से पैदा किया.”

अल्लाह ता’आला ने कहा “निकल जा यहा से, आज से तू रजीम(धुत्कारा) हुवा है,और तुझपे लानत है.”

इब्लीस ने कहा “ऐ मेरे रब, जिस की वज़ह से तूने मुझे धुत्कारा और लानत की, मुझे क़यामत तक मोहलत दे के मै इसे और इस की औलादों को गुमराह करू और इन्हे तेरी राह से रोकू, और मै चाहे आगे से पिछे से उपर से नीचे से जहा से भी आउ कोई मुझे देख ना सके.”

अल्लाह ता’आला ने कहा “मुझे अपनी जलाल की कसम, जा तुझे मोहलत दी, लेकिन मै तुझे और जो तेरी पैरवी करेगा उन् सब को जहन्नुम मे भर दूँगा. और इन्सानो की रहेनुमायी के लिए मै अपने नबीयों और रसूलों को भेजूंगा. जो भी मुत्तकी और परहेज़गार होगा और नेक अमल करेगा. मै उसे जन्नत मे जगह दूगा,..”

तब से लेकर आज तक शैतान इंसानों को बहका ता चला आ रहा है और कयामत तक अल्लाह के हुक्म से बैक आता रहेगा लेकिन अल अकबर को ताला ने फरमाया कि जो उसके नेक और फरमाबरदार बंदे होंगे वह शैतान की बातों में कभी नहीं आएंगे और अल्लाह के बताए हुए रास्तों पर ही अमल करेंगे अल्लाह हमें भी तौफीक दे कि हम शैतान के बहकावे से बचे रहें और अल्लाह तबारक व ताला के बताए हुए रास्ते पर चलते रहे क्योंकि वही हक का रास्ता है उसी रास्ते पर चलकर हम सबकी निजात होगी अल्लाह से दुआ है कि अल्लाह तमाम दुनिया के मुसलमानों को दी ने हक पर चलने वाला बना आमीन

 शैतान का थूक

खुदा ने जब हजरत आदम अलैहिस्सलाम का पुतला मुबारक तैयार फरमाया तो फरिश्ते हजरत आदम अलैहिस्सलाम के इस पुतला मुबारक की जियारत करते थे मगर शैतान असद की आग में जल भूल गया एक मर्तबा उस्मान दूध ने बुधवार की नेमस में आकर हजरत आदम अलैहिस्सलाम के पुतले मुबारक पर थूक दिया यह थूक हजरत आदम अलैहिस्सलाम की नाप मुबारक के मकान पर पड़ी खुदा ताला ने जिब्राइल अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया कि इस जगह से उतनी मिट्टी निकालकर उस मिट्टी का कुत्ता बना दो चुना चे उस शैतानी धूप से मिट्टी मिली जो कुत्ता बना दिया गया यह कुत्ता आदमी से मानुस इसलिए है कि मिट्टी हजरत आदम अली सलाम की है और पलीत गंदा इसलिए है कि तू शैतान की है रात को जागता इसलिए है कि हाथ से जिब्राइल के लगे हैं
                                 (रूहुल बयान जिल्द एक सफा 68)

सबक

शैतान के थूकने से हजरत आदम अलैहिस्सलाम का कुछ नहीं बिगड़ा बल्कि मका मीनाक्षी कम पेट के लिए वजह है जीनत बन गया इसी तरह अल्लाह वालों की बारगाह में गुस्ताखी करने से उन अल्लाह वालों का कुछ नहीं बिगड़ता बल्कि उनकी शान और भी चमकती है यह भी मालूम हुआ कि अल्लाह वालों को हस अद्व नफरत की निगाह से देखना शैतानी काम है।

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( इस्लामिक नीलोफर अजहरी )

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