Friday, 21 December 2018

एक नॉन मुस्लिम राजीव शर्मा ने किया कुरान शरीफ का मारवाड़ी तर्जुमा


एक नॉन मुस्लिम राजीव शर्मा ने किया कुरान शरीफ का मारवाड़ी तर्जुमा
https://islamicnelofarazhari.blogspot.com/?m=1

एक नॉन मुस्लिम राजीव शर्मा ने किया कुरान शरीफ का मारवाड़ी तर्जुमा
अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्ला हे व बरकातहू कैसे हैं आप आज मैं आपके साथ एक ऐसे शख्स का वाक्य शेयर करने वाली हूं जो उसने अपनी ही जुबानी फेसबुक पर दुनिया के साथ शेयर की है आज का वक्त बड़ा ही खराब चल रहा है आज लोग मजहब के नाम पर दंगे फसाद करा रहे हैं और हर गलत काम का इल्जाम मुसलमानों को ही दिया जाता है जबकि मुसलमान का मतलब ही मुसलसल इमान है जिसका इमान एक तरफ जमा हुआ हो वही मुसलमान होता है और मुसलमान मजहब में कभी भी किसी को भी जरा सा भी नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं है कुरान मजीद में अल्लाह तबारक व ताला ने खुद इरशाद फरमाया है कि दूसरों पर रहम करो खुदा तुम पर रहम करेगा


आज दुनिया भर में कुरान और इस्लाम के खिलाफ न जाने कितनी किताबें लिखी जा रही है और इस्लाम को बदनाम करने की पूरी कोशिश की जा रही है इस दौर में भी कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो कुरान को सही साबित करने में लगे हुए हैं और दिन और रात एक कर रखा है अपनी मेहनत से जिससे कुरान और हदीस हमेशा सही अनुष अल्फाजों में दुनिया तक पहुंच सके और कोई भी कुरान को गलत साबित ना कर पाए क्योंकि कुरान एक हक पर चलने वाली किताब है कुरान में मुकम्मल तौर पर दीन ए हक की तालीम दी गई है इसमें आपस में भाईचारा और शीला रहनी का अच्छे अखलाक का जिक्र किया गया है कुरान की अजमत बयान करने में कई लोग लगे रहते हैं उनमें से एक हमारे भाई जोके नॉन मुस्लिम हैं उनका नाम राजीव शर्मा है राजीव शर्मा जी ने कुरान का मारवाड़ी में तर्जुमा कर एक नया इतिहास लिखा है इससे पहले मारवाड़ी में किसी ने भी कुरान का तर्जुमा नहीं किया था राजीव शर्मा जी ने यह एक पहल की है जो मारवाड़ी मुस्लिमों के काफी काम आने वाली है जो लोग मारवाड़ी लैंग्वेज जानते हैं वह अरबी में कुरान नहीं पढ़ पाते इसीलिए राजीव शर्मा जी ने यह पहल की है जिससे यह कुरान सभी लोगों तक आसानी से पहुंच सकें और लोगों के दिलों में कुरान को लेकर जो भी गलत फेमिया है वह दूर हो जाएं और लोगों का दिल कुरान के मुतालिक एकदम साफ हो जाए अल्लाह पाक है और पाखी को पसंद फरमाता है अल्लाह राजीव भाई की मदद फरमाए तो चलिए आगे पढ़ते हैं राजीव भाई का लिखा हुआ लेख जो उन्होंने फेसबुक पर अपलोड किया था जिससे इंस्पायर होकर मैं यह पोस्ट लिख रही हूं अल्लाह हमें भी कुरान को पढ़ने और समझने की तौफीक अता फरमाए आमीन या रब्बुल आलमीन


*पढ़िए राजीव भाई का लेख जो उन्होंने खुद अपने ऑफिसियल फेसबुक पेज पर लिखा :
प्रिय साथियो,
आपको यह जानकारी देते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने पवित्र क़ुरआन का मारवाड़ी में अनुवाद किया है। यह अनुवाद दो वजह से बहुत खास है। पहली, यह क़ुरआन का अनुवाद है। दूसरी, यह क़ुरआन का मारवाड़ी में किया गया विश्व का पहला अनुवाद है। अगर हम पिछले करीब चौदह सौ साल का इतिहास देखें तो क़ुरआन के मारवाड़ी अनुवाद का कहीं जिक्र नहीं मिलता।
मेरी अनुवाद की यह यात्रा बहुत सुंदर और यादगार रही है। मैंने क़ुरआन के हर शब्द को बहुत ध्यान से और बार—बार पढ़कर, समझकर उसका मूल भाव मारवाड़ी में लेने की कोशिश की है। मुझे इस काम में करीब तीन साल का वक्त लगा है। मैंने दिसम्बर 2014 में यह अनुवाद शुरू किया था और बहुत धीमी गति से इसे जारी रखा। पिछले छह महीने (जुलाई 2017) से मैंने सब काम छोड़कर पूरा ध्यान इसी में लगाया। रब का शुक्र है कि इस दौरान कोई परेशानी नहीं आई और यह कार्य संपन्न हुआ।

# क़ुरआन का ही अनुवाद क्यों?

मेरे कई मित्र पूछ सकते हैं कि क़ुरआन का ही मारवाड़ी अनुवाद क्यों! वास्तव में इसकी कोई एक वजह नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी वजह है हमारे समाज में बढ़ती नफरत। आपको नफरत चेक करने के लिए कोई पैमाना लाने की जरूरत नहीं। किसी भी समाचार वेबसाइट के फेसबुक पेज पर चले जाइए और लोगों के कमेंट पढ़कर देख लीजिए। आप पाएंगे कि आज हमने पूरी ताकत एक—दूसरे को नीचा दिखाने में लगा रखी है।
स्थिति इतनी विचित्र है कि जिस किताब के हर पृष्ठ पर आपको शांति, मानवता, दया, भाईचारा और समझदारी की बातें मिलेंगी, आज लोग अनजाने में उसके लिए कई भ्रम पाले बैठे हैं। इसके बाद प्रतिक्रिया का दौर शुरू होता है और हम सोशल मीडिया को झगड़े का मैदान बना लेते हैं।
हम एक देश में रहते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि एक—दूसरे के धर्म को जानें और उनका सम्मान करना सीखें। आपसी टकराव और गलतफहमियों से देश कमजोर होता है।
मुझे याद है जब 9/11 की घटना हुई थी तो अखबारों और चाय की दुकानों पर आतंकवाद और क़ुरआन के संबंधों की चर्चा बहुत गर्म थी। उन दिनों मैं दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था और एक लाइब्रेरी भी चलाया करता था। संयोगवश मेरी लाइब्रेरी में कई धर्मग्रंथ थे, क़ुरआन भी था। वह चर्चा सुनकर मैं लाइब्रेरी में आया और क़ुरआन पढ़ने लगा।
https://islamicnelofarazhari.blogspot.com/?m=1


मुझे उसमें ऐसी कई—कई आयतें मिलीं जो सदाचार, शांति और नैतिकता की बात कहती हैं। एक आयत (5/32) में तो यह भी कहा गया था कि अगर किसी ने बेगुनाह की हत्या की तो उसका यह पाप पूरी मानवता की हत्या के बराबर है। यदि उसने किसी की जान बचाई तो यह पूरी मानवता की रक्षा करने के बराबर है।
उसके बाद मैंने क़ुरआन को पढ़ना जारी रखा। वर्षों बाद (2014 में) मेरे दिल में खयाल आया कि क़ुरआन की आयतों का अर्थ मारवाड़ी में हो तो यह और ज्यादा सुंदर और सरल होगा। ग्रामीण परिवेश के लोग इसे आसानी से पढ़ सकेंगे। इसके बाद मैं मारवाड़ी अनुवाद में जुट गया।
मैंने आज (तारीख 2 दिसम्बर 2017) को क़ुरआन का यह अनुवाद पूरा किया है। अब मैं किसी पब्लिशर की तलाश में हूं। दुआ करें कि यह जल्द पुस्तक के आकार में आप सबके घरों और दिलों में भी जगह पाए।
एक बात और … रुकना और आराम करना मेरा मकसद नहीं है, मुझे पसंद भी नहीं है। अब मैं उस लाइब्रेरी को आगे बढ़ाना चाहता हूं और पूरे भारत में उसकी शाखाएं खोलना चाहता हूं ताकि अच्छी किताबों के जरिए स्कूली विद्यार्थियों में एक स्वस्थ, बेहतर और ऊंची सोच पैदा हो। क्या आप इस मुहिम के लिए मुझे सुझाव देंगे?
आजादी के बाद हमने बैंकों की अहमियत तो पहचानी लेकिन लाइब्रेरी की अहमियत भूलते गए। याद कीजिए वो घटना जब हज़रत जिबरील (अलैहि.) यह आयत लेकर आए — पढ़ो अपने रब के नाम से जिसने तुम्हें पैदा किया। (96/1)
यह आगाज पढ़ाई के हुक्म से हुआ था।
— राजीव शर्मा (कोलसिया)
https://www.facebook.com/writerrajeevsharma/
अपने ऊपर  राजीव शर्मा जी का फेसबुक पर  लिखा हुआ  पोस्ट पढ़ लिया होगा  राजीव शर्मा भाई ने  एक बहुत ही नेक  और अच्छा काम किया है  राजीव शर्मा भाई  के जैसे ही  हमें भी  दीन के मामलात में  बड़ी ही फिक्र और गौर करनी चाहिए  और दिन को आगे बढ़ाने में  अपना सहयोग देना चाहिए  जो पहल एक नॉन मुस्लिम कर सकता है  तो हम मुसलमान होकर क्यों नहीं कर सकते  हमें सोचना चाहिए और कल से नहीं अभी से ही पहल कर देना चाहिए  हमसे जितना भी हो सके  दीन के मामले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे  और  रास्ते से पत्थर हटाना भी एक ने की है इस बात को ध्यान में रखते हुए हम छोटे-छोटे नेगी के काम करते जाएंगे इंशा अल्लाह  एक दिन हम कोई बड़ा काम भी कर जाएंगे  और  अल्लाह ताला हमारी मदद जरूर फर्म आएगा  जब वह एक  नॉन मुस्लिम की  मदद कर सकता है तो हमारी क्यों नहीं करेगा  हम आज से याद करते हैं  थे  दिन के कामों में वक्त बिताएंगे  जितना भी हो सके  दिन को फ़ैल आएंगे  इंशा अल्लाह ।
https://islamicnelofarazhari.blogspot.com/?m=1


बहरहाल ये थे हमारे भाई राजीव शर्मा जी कोलसिया गाव से, इनके बारे में एक और दिलचस्ब बात ये भी है के इन्होने कुरान से पहले एक और मशहुर किताब लिखी जिसका नाम है “पेगम्बरों पैगाम "👌, जी हाँ नाम से ही आप समझ गए होंगे के ये किताब नबी-ऐ-करीम (सलाल्लाहू अलैहि वसल्लम) की सीरत यानी जीवनी पर आधारित मारवाड़ी में किया गया अनुवाद है..
इंशा अल्लाह अब कुरान मारवाड़ी लैंग्वेज में होने की वजह से लोग आसानी से इसे पढ़ सकेंगे जो भी मारवाड़ी हैं और अरबिक उर्दू या इंग्लिश लैंग्वेज नहीं जानते उनके लिए बेहद आसानी का सबब होगा यह मारवाड़ी कुरान शरीफ इंशा अल्लाह राजीव भाई की यह कोशिश नाकाम नहीं जाएगी मेरी और आप सब की दुआएं राजीव भाई के साथ हैं अल्लाह इन्हें तरक्की दे और जो काम इन्होंने 3 साल की मेहनत के बाद मुकम्मल किया यानी मारवाड़ी लैंग्वेज में कुरान का तर्जुमा किया वह कोई आसान काम नहीं मैं समझ सकती हूं और आप सब भी समझ सकते हैं कि इनको कड़ी मेहनत का सामना करना पड़ा होगा अब यह चाहते हैं के मारवाड़ी कुरान को हर लाइब्रेरी में पहुंचाया जाए और ज्यादा से ज्यादा लोग इसे पढ़ सके अल्लाह इनकी यह दुआ और कोशिश पूरी फरमाए और इनकी इस मेहनत का जवाब दुनिया और आखिरत की भलाई यों के साथ इन्हें अता फरमाए अल्लाह तबारक व ताला फरमाता है जो कोई दिन का एक काम करता है अल्लाह तबारक व ताला उसके बदले उसे ढेरों ने क्यों से ना वास्ता है तो उन्होंने 2 दिन का एक बड़ा काम किया माशा अल्लाह से अल्लाह इन्हें खूब नवाजे गा मेरी दुआ है इनके साथ अल्लाह इन्हें दीन को फैलाने की टॉपिक और भी ज्यादा दे और हमें भी दिन पर अमल करने वाला और दिन के कामों में वक्त गुजारने वाला बनाएं आमीन या रहमतुल्लाह आलमीन अल्लाह हाफिज अगर आपको मेरे आर्टिकल्स अच्छे लगते हो तो प्लीज मेरे ब्लॉक हो सब्सक्राइब करें लाइक शेयर भी कर दे आपकी बड़ी मेहरबानी होगी दुआ में याद रखिएगा अल्लाह हाफिज
    Islamic Nilofer azhari


    3 comments: