Saturday 23 February 2019

Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम

Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम
Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम



अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू आज हम जिस शख्सियत के बारे में बात करने वाले हैं वह दुनिया की सबसे अजीब शख्सियत हैं उनकी तारीफ करने के लायक मेरी जुबान नहीं वह दोनों जहां के मालिक हैं बल्कि यह दो जहां अल्लाह ने उन्हीं के तुफैल बनाए हैं वह सबसे पहले और सबसे आखिरी नबी है !


जी हां आप समझ गए होंगे कि मैं हमारे आका आप सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की बात कर रही हूं हमारी प्यारी आंखें नूर ए मुजस्सिम यतीम के गम ख्वार औरतों को इज्जत दिलाने वाले जुल्म सहने वाले बच्चों से मोहब्बत करने वाले यतीम और बेवा ओर से शफकत करने वाले हैं है !


इसलिए क्योंकि हुजूर muhummad सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का सिर्फ पर्दा हुआ है इस दुनिया से और वह दुनिया बनने से लेकर कयामत तक जिंदा थी जिंदा है और जिंदा ही रहेंगे आप गायब को जानने वाले हैं दुनिया और आखिरत की कोई भी चीज आप से छुपी नहीं है!


मुहम्मद सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम की पैदाइश


इस्लाम के संस्थापक पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम का जन्मदिन हिजरी रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख को मनाया जाता है। 571 ईस्वीं को शहर मक्का में पैगंबर हज़रत मुहम्मद Sallallahu Alayhi was Sallam (जन्म ) पैदाइश मक्का में हुई मक्का सऊदी अरब में स्थित है।

  मुहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम की पैदाइश के दिन की रौनक


जिस दिन आप सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम की पैदाइश हुई वह दिन 12 रबी उल अव्वल का दिन था फजर का वक्त था और आमीना के लाल ने दुनिया पर तशरीफ़ लाएं फरिश्ते आपको चारों तरफ से घिरे हुए थे पैदा होते ही मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह को सजदा किया जिस दिन आप की पैदाइश हुई उस दिन सारे बिगड़े काम बन गए थे मौसम बहुत सुहाना था जानवर ज्यादा दूध दे रहे थे जो कभी दूर नहीं देते थे वह भी दूध देने लगे हर तरफ खुशहाली का माहौल था!



मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के वालिद साहब (पिता) का नाम अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ल मुतलिब था और वालिदा (माता) का नाम आमना था। मुहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के वाले के पिता का इंतकाल हो गया था। ऐसे में मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की परवरिश (लालन-पालन) उनके चाचा अबू तालिब ने किया। आपके चाचा अबू तालिब ने आपका खयाल उनकी जान से भी ज्यादा रखा चाचा अबू तालिब अपने भतीजे मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम से बेइंतेहा मोहब्बत किया करते थे आपने उन्हें बड़ी मोहब्बत और शकत के साथ पाला!



पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की है। आप हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम इस्लाम के पहले और आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कयामत तक कोई नबी नहीं आएंगे आपको आखिरी जमा भी कहा जाता है।



आप की पैदाइश के वक्त अरब में औरतों की बुरी हालत थी आपका बचपन इसी माहौल में मुजरा अरब लोग सभी औरतों और मजलूम ऊपर जुल्म किया करते थे अमीरों ताकतवर और जालिम हुआ करते थे गरीब मजबूर और लाचार थे गरीबों और औरतों के कोई हक ना थे लड़कियों को जिंदा दफना दिया जाता था ! जिनके शौहर मर जाते उनके साथ बड़ा बुरा सलूक किया जाता था !


जिसका shohar मर जाता उसे एक अलग कोठरी में रखा जाता उसे किसी से मिलने ना दिया जाता उसकी हालत बहुत बुरी हो जाती मानो उसने अपने शहर को खुद ही मारा हो अम्मा हमारे आका मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम ने इस रस्म को भी खत्म करवाया और औरतों को बड़ी इज्जत दिलवाई औरत को दुनिया में हक दिलवाने वाले मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम ही है!


आप ही ने सबसे पहले औरतों को उनके हक दिलवाने शोर मर जाने पर उसकी जय जाट में से कुछ ऐसा बीवी का भी बना और अगर तलाक हो जाती तो उसको उसका हक मेहर मिलता औरतें अपनी मर्जी की मालिक बनी!


Allah||Allah ke |zikar| ki Fazilat







अरब में बेटियों को जिंदा दफनाने की रसम


बेटियों को जिंदा दफनाने की रसम भी आप मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम नहीं खत्म करवाई वरना अरब के लोग अपनी बेटियों को जिंदा दफना दिया करते थे वह बेटी से मोहब्बत करना अपनी बेइज्जती समझते थे और बेटी की पैदाइश पर शोक मनाते थे !




और मौका पाते ही बेटी को जिंदा दफना देते थे मोहम्मद सल्लल्लाहो सल्लम नहीं बेटी को दफनाने की रस्म को खत्म करवाया और सभी को बताया कि बेटी की अहमियत क्या है आप ही ने बताया कि जिसके घर में बेटी पैदा होगी पहली बेटी पैदा होने पर अल्लाह को सलाम पहुंचेगा और बेटी घर की रहमत और बरकत होती है यह मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम नहीं हमें बताया है आपकी वजह से ही आज बेटी को इज्जत मिल पाई है!


अरब के लोगों को एक ही खुदा की इबादत सिखाए


मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम नहीं आरिफ के लोगों को अल्लाह तबारक व ताला की ही इबादत करो यह बताया आपने ही बताया कि वह अल्लाह है वह एक है उसकी ना ही कोई औलाद है ना उसे किसी ने पैदा किया और ना ही उसके कोई जोड़ का है !


जब भी कोई जाहिल अरब सवाल करता अल्लाह आपके ऊपर वही Nazil farmata और आप उस जाहिल को इस आयत के जरिए जवाब देते और कहते इस जैसी एक भी आयात लाकर दिखा दो और वह कुछ ना कर पाते उनके पास कोई जवाब ना होता!

जबकि अरब में कबीलाई संस्कृति का जाहिलाना दौर था। हर कबीले का अपना अलग धर्म था और उनके 


देवी-देवता भी अलग ही थे!

कोई मूर्तिपूजक था तो कोई आग को पूजता था। यहुदियों और ईसाइयों के भी कबीले थे लेकिन वे भी मजहब के बिगाड़ का शिकार थे। ईश्वर (अल्लाह) को छोड़कर लोग व्यक्ति और प्रकृति-पूजा में लगे थे।


इन सभी गलत रास्तों से आरोपियों को मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने ही बाहर निकाला और उन्हें दी ने हक की दावत दी और उनकी जिंदगी सवार दी!


इस सबके अलावा भी पूरे अरब में हिंसा का बोलबाला था। औरतें और बच्चे महफूज नहीं थे। लोगों के जान-माल की सुरक्षा की कोई ग्यारंटी नहीं थी। सभी ओर बदइंतजामी थी। इस अंधेरे दौर से दुनिया को बाहर निकालने के लिए अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पैगंबर बनाया।


Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम

Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम

Quran majeed कुरआन ---:


 हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम पर जो अल्लाह की पवित्र किताब उतारी गई है, वह है- कुरआन। अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार हजरत जिब्राइल अली सलाम के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। जो आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से पहले किसी को ना सुनाया उस संदेश को ही कुरआन में संग्रहीत किया गया है। 1,400 साल हो गए लेकिन इस संदेश (Quran)में जरा भी रद्दोबदल नहीं है।



कयामत तक ना ही कुरान के एक भी अल्फाज में बदलाव यह दो बदन नहीं होगा इंशाल्लाह यही हमारा मानना है और यही सच्चाई है अल्लाह तबारक व ताला ने यह भी फरमाया है और हम मुसलमान हमें इस बात पर यकीन रखना होगा कि कुरान में कयामत तक एक अल्फाज भी ना बदला जाएगा वह जैसा है हमेशा वैसा ही रहेगा कुरान एक हिदायत की किताब है जिसके माध्यम से हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने इस दुनिया के लोगों को रोशनी दिखाते हुए दुनिया को अल्लाह की मर्जी बताइए कहना क्या चाहता है अपने bando se


कुराने पाक हक पर चलने वाली किताब है और हमें जो भी परेशानी हो उसका हल कुरान पाक में मौजूद है बस हमें अल्लाह उसे समझने की और उस पर बताए हुए पर अमल करने की तौफीक अता फरमाए


इबादत और इलहाम : 


मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम बचपन से ही अल्लाह की इबादत में लगे रहते थे। आपको इबादत का बेइंतेहा शौक था आप अल्लाह से इस तरह डरते थे जैसे मानो कितने * * हूं जबकि मेरे आका मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम paak or saaf है आपने कभी झूठ नहीं बोला कभी जो चुगली नहीं की कभी बात नहीं की कभी कोई गुनाह नहीं किया आप हर गुनाह से पार्क हैं फिर भी आप अल्लाह से डरते हैं और सजदे में सिर्फ यही मांगते थे!



या अल्लाह मेरी उम्मत मेरी उम्मत आपने कई दिनों तक मक्का की एक पहाड़ी 'अबुलुन नूर' पर इबादत की। 40 वर्ष की उम्र(अवस्था) में आपको अल्लाह की ओर से संदेश (इलहाम) प्राप्त हुआ। और आपने नबूवत का ऐलान किया है और बता दिया कि वह अल्लाह है वह एक है वहीं इबादत के लायक है!

अल्लाह की इबादत करो और उसी से मदद मांगू ईमान वालों झूठ ना बोलो बदीना करो कोई बात ना करो हक पर चलो नमाज कायम करो अखबारों का हक अदा करो किसी मजबूर को परेशान न करो जो कर्ज मांगे उसे कर्ज दे दो जो माफी मांगे उसे माफ कर दो अगर गलती हो जाए तो माफी मांग लो और अपने से छोटों को और बड़ों को सलाम करो आपस में मोहब्बत से रहो!



किसी को धोखा ना दो किसी औरत की तरफ गंदी निगाह गाना डालो अल्लाह सब देखता है वह तुम्हारे अच्छे और बुरे आमाल सब देख रहा है वही है इबादत के लायक और सब तारीफें उसी की है वही है दोनों जहानों का रब यह सभी कुछ मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने ही हमें बताया है आप ही ने हमें जीने हक की दावत दी है आप ही है जींस जिन्होंने तमाम जान को दिन सिखाया है!



जब आपने 40 साल के ibadat में गुजार दिया तो अल्लाह ताला ने आपको अपनी वहीं से नवाजा और फरमाया
अल्लाह ने फरमाया, ये सब संसार सूर्य, चांद, सितारे मैंने पैदा किए हैं। मुझे हमेशा याद करो। मैं केवल एक हूं। मेरा कोई मानी-सानी नहीं। लोगों को समझाओ। हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने ऐसा करने का अल्लाह को वचन दिया, तभी से उन्हें नबूवत हासिल हुई।


सबसे पहले ईमान लाने वाले शख्सस: नबूवत मिलने के बाद मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने लोगों को ईमान की दावत दी। मर्दों में सबसे पहले ईमान लाने वाले सहाबी हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रजि. अल्लाह ताला अनु रहे। बच्चों में हज़रत अली रजि. अल्लाह ताला अनु सबसे पहले ईमान लाए और औरतों में हजरत खदीजा रजि. अल्लाह ताला अनु ईमान लाईं।


मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वाले वसल्लम की वफात


वफात : 632 ईस्वीं, 28 सफर हिजरी सन् 11 को 63 साल की उम्र में हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने मदीना में दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था यानी इस्लाम कुबूल कर चुका था और आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं। जिस वक्त आप की वफात हुई उसके बाद से पता नहीं कितने सालों तक मदीने में एक अगम का बादल छाया रहता था!


ना जाने कितने लोग आपको देखने की आस में इधर-उधर तड़पते फिरते थे और रोते बिलखते थे की आंख रोती रहती थी मोहब्बत इतनी ज्यादा थी मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला वसल्लम से कि आंसू रुकते नहीं थे के दीदार नहीं होता!

हजरत बिलाल हब्शी

हजरत बिलाल हब्शी आप मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम कच्चे पक्के आशिक थे और गुलाम थे आप हमेशा मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम की खिदमत में हाजिर रहते थे और अरब में आजान हजरत बिलाल ही दिया करते थे एक दिन अरब के लोगों ने कहा कि बिलाल की जवान मे लोकमत है वह ठीक से आसान नहीं देते आप उनसे Kal आज़ान ना दिलवाए!



आप मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अली वसल्लम ने फजर की अजान बिलाल से ना देने को कह दिया हजरत बिलाल अपने हुजरे में रोते रहे और यह सोचते रहे कि मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने मुझे आज़ान देने को क्यों मना किया वक्त गुजरता गया और सुबह ना हुई अरब के लोग परेशान हो गए और परेशान होकर मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के पास आए और पूछा या रसूल अल्लाह कितना वक्त गुजर गया!
Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम
Muhammad|| सल्लल्लाहु ताला अलेही वसल्लम


 फजर का वक्त नहीं आता आखिर माजरा क्या है तभी आसमान से जिब्रील अलैहिस्सलाम तशरीफ लाते हैं और मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम को बताते हैं के हजरत बिलाल की अजान अल्लाह के यहां मकबूल है यानी अल्लाह को हजरत बिलाल की अजान बहुत पसंद है और जब तक बिलाल अज़ान नहीं देंगे!


तो सुबह नहीं होगी मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम ने अरब के लोगों को यह बात बताई और कहा जब तक हजरत बिलाल अज़ान नहीं देंगे तब तक सुबह नहीं होगी फिर हजरत बिलाल से अजान देने की गुजारिश की गई हजरत बिलाल ने जब आज़ान दी तब ही सुबह हुई यह थे मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सच्चे पक्के आशिक और गुलाम!


मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम की शान में अभी बहुत कुछ बाकी है यह तो कुछ झलकियां थी जो मैंने आपसे शेयर की है अगर आपको यह पसंद आए तो प्लीज इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जिन लोगों ने हमारी पोस्ट शेयर की है और लाइक किए हैं उनका बहुत-बहुत शुक्रिया अल्लाह हाफिज फिर मिलेंगे दुआ में याद रखिएगा


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