History || of || Jama Masjid|| Delhi||majid in Delhi |
अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू सभी मेरे प्यारे दोस्त कहते हैं उम्मीद करती हूं कि अल्लाह के करम से सभी बहुत अच्छे होंगे आज हम जिस टॉपिक पर बात करने वाले हैं वह कोई आम टॉपिक नहीं है वह कैसी मस्जिद का टॉपिक है जिस का नक्शा बनाने वाले को अल्लाह ताला ने जन्नत से दिखाया था जी हां जाओ मस्जिद जैसी एक मस्जिद जितने भी है!
और जब जामुन बनाने की बात हुई थी उस जमाने में ख्वाब में जामा मस्जिद का नक्शा दिखाया गया था और मस्जिद बनाने वाले राज ने उसी नक्शे के हिसाब से मस्जिद बनाई थी कितने साल गुजर गए परवाज भी ऐसी कैसी है यह सब जानते हैं उसमें कुछ भी पुराना पर नहीं आया है ऐसा लगता है जैसे कुछ ही साल हुए हैं!
उसे बने जबकि उसे बने हुए एक अरसा बीत चुका है मैं खुद जामा मस्जिद कई बार जा चुकी हूं इनफैक्ट कभी-कभी तो मैं रोज ही जाओ जा कर बैठी थी और यह मेरा खुद का तजुर्बा है मैंने खुद सील किया है जितना भी सुकून है जहां मुझे तुम्हें और कहीं नहीं मिलता इतनी टेंशन होने के बाद भी हम वहां खुश मिजाज हो जाते हैं और बहुत अच्छा फील करते हैं बड़ा ही दिल को सुकून मिलता है!
जामा मस्जिद में बैठकर दूसरे लोगों को देख देख कर जब वो खुशी मनाते हैं अपने बच्चों के साथ खुश रहते हैं नमाज अदा करते हैं और वही फौज में जो करते हैं वह तो बड़ा ही प्यारा मंदिर होता है और मगरिब के वक्त क्या जान तो सुभान अल्लाह क्या कहने!
रमजान और मगरिब का वक्त
जब रमजान मुबारक आता है तो जाओ मुझे पर एक निहायती खूबसूरत मंजर होता है वो मंजर आंखों को बड़ा ही सुहाना लगता है और जो रोजे का वक्त आता है और जानेमन गरीब होती है दो
मगरिब के वक्त रमजान के महीने में सुनेंगे तो उस मस्जिद जैसी अजान शायद कहीं किसी ने सुनी होगी बड़ा ही प्यारा मंजूर होता है आज़ान जब होती है और इस प्यारी सजाई गई होती है आराम से पहले लोग अब इस प्यारी लिए बैठे होते हैं और जैसे ही एक बम फोड़ा जाता है बड़ी तेज आवाज होती है और फिर अजान होती है कितना प्यारा और सुहाना मंजर होता है!जामा मस्जिद की सारी लाइट्स ऑन हो जाती है और सभी खामोश हो जाते हैं चारों तरफ खामोशी के आलम में रोज लोग रोजा इफ्तार करते हैं और रोजा इफ्तार करते ही फौरन नमाज का वक्त हो जाता है नमाज अदा होने के बाद से ही वहां के सद्दाम लोग सभी लोगों को बाहर निकालने लगते हैं मगरी बाद से किसी का भी जा मत जाना मना है आज हम जाओ अजित का इतिहास जानेंगे!
भौगोलिक निर्देशांक प्रणाली | |
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धार्मिक संबद्धता | इस्लाम |
जिला | मध्य दिल्ली |
क्षेत्र | दिल्ली |
चर्च संबंधी या संगठनात्मक स्थिति | मस्जिद |
वास्तु विवरण | |
वास्तु प्रकार | Mosque |
वास्तुशैली | इस्लामी, |
पूर्ण | 1656 |
विशेष विवरण | |
क्षमता | 25,000 |
लंबाई | 80 m |
चौड़ाई | 27 m |
गुंबद | 3 |
मीनार | 2 |
मीनार ऊंचाई | 41 m |
जामा मस्जिद का निर्माण सन्
यह मस्जिद लाल और संगमरमर के पत्थरों का बना हुआ है। लाल किले से महज 500 मी. की दूरी पर जामा मस्जिद स्थित है जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शाहजहां ने शुरु करवाया था। इसे बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रु.लगे थे। बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित इस मस्जिद में उत्तर और दक्षिण द्वारों से प्रवेश किया जा सकता है।
पूर्वी द्वार केवल शुक्रवार को ही खुलता है। इसके बारे में कहा जाता है कि सुल्तान इसी द्वार का प्रयोग करते थे। इसका प्रार्थना गृह बहुत ही सुंदर है। इसमें ग्यारह मेहराब हैं जिसमें बीच वाला महराब अन्य से कुछ बड़ा है। इसके ऊपर बने गुंबदों को सफेद और काले संगमरमर से सजाया गया है जो निजामुद्दीन दरगाह की याद दिलाते हैं।
मस्जिद-ए-जहाँ-नुमा विशेषतः दिल्ली की जामा मस्जिद – Jama Masjid के नाम से जानी जाती है, यह भारत की सबसे विशालकाय मस्जिदों में से एक है.
मुगल शासक शाहजहाँ ने 1644 और 1656 के बीच 1 मिलियन रुपयों की लागत लगाकर इस मस्जिद का निर्माण करवाया था. इस मस्जिद का निर्माणकार्य 1656 AD में तीन विशाल दरवाजे, चार टावर और 40 मीटर ऊँची मीनार और लाल पत्थर और सफ़ेद मार्बल के साथ पूरा हुआ था. इसके आँगन में तक़रीबन 25000 लोग एकसाथ आ सकते है. इसकी छत पर तीन गुम्बद भी है जो दो मीनारों से घिरे हुए है. फर्श पर तक़रीबन 899 काली बॉर्डर बनी हुई है. बादशाही मस्जिद का आर्किटेक्ट प्लान शाहजहाँ के बेटे औरंगजेब ने पाकिस्तान के लाहौर में बनाया था जो बिल्कुल जामा मस्जिद की ही तरह था.
दिल्ली की जामा मस्जिद का इतिहास – Jama Masjid Delhi History In Hindi
मुगल शासक शाहजहाँ ने 1644 और 1656 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था. इस मस्जिद को तक़रीबन 5000 कामगारों ने बनाया था. असल में इसे मस्जिद-ए-जहाँ-नुमा कहा जाता था. शाह के शासन में वजीर रह चुके सादुल्लाह खान के नेतृत्व में इसका निर्माण किया गया था. उस समय इसे बनवाने में तक़रीबन 1 मिलियन रुपयों की लागत लगी थी!
शाहजहाँ ने आगरा में ताजमहल और नयी दिल्ली में लाल किले का निर्माण भी करवाया था, ये बिल्कुल जामा मस्जिद के विपरीत दिशा में ही है. जामा मस्जिद का निर्माणकार्य 1656 AD (1066 AH) में पूरा हुआ था. इस मस्जिद का उद्घाटन 23 जुलाई 1656 को उज़बेकिस्तान के बुखारा के मुल्ला इमाम बुखारी ने किया था, ये सब उन्होंने शाहजहाँ के निमंत्रण भेजने पर ही किया था. एक समय में एक साथ 25000, लोग जामा मस्जिद में प्रार्थना कर सकते है और इसीलिये इसे भारत की सबसे विशाल मस्जिद भी कहा जाता है. इस मस्जिद को साधारणतः “जामा” कहा जाता है जिसका अर्थ शुक्रवार होता है.
शाहजहाँ ने आगरा में ताजमहल और नयी दिल्ली में लाल किले का निर्माण भी करवाया था, ये बिल्कुल जामा मस्जिद के विपरीत दिशा में ही है. जामा मस्जिद का निर्माणकार्य 1656 AD (1066 AH) में पूरा हुआ था. इस मस्जिद का उद्घाटन 23 जुलाई 1656 को उज़बेकिस्तान के बुखारा के मुल्ला इमाम बुखारी ने किया था, ये सब उन्होंने शाहजहाँ के निमंत्रण भेजने पर ही किया था. एक समय में एक साथ 25000, लोग जामा मस्जिद में प्रार्थना कर सकते है और इसीलिये इसे भारत की सबसे विशाल मस्जिद भी कहा जाता है. इस मस्जिद को साधारणतः “जामा” कहा जाता है जिसका अर्थ शुक्रवार होता है.
जामा मस्जिद की कुछ रोचक बाते – Interesting Facts About Jama Masjid
अगर आप दिल्ली गये तो निश्चित ही आपको जामा मस्जिद देखने की इच्छा होगी. यह आप जामा मस्जिद को देखोगे तो ही आपको इसके इतिहासिक भाग, महत्त्व और जानकारियों के बारे में पता चलेंगा. तो आइये जामा मस्जिद के बारे में ऐसी ही कुछ रोचक बातो को जानते है.
1. मस्जिद को बनने में पुरे 12 साल लगे और तक़रीबन 5000 लोगो ने मिलकर इसे बनवाया था, और इसे बनाने में 1 मिलियन रुपयों की लागत लगी थी.
2. दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है.
3. मुगल शासक शाहजहाँ का यह अंतिम आर्किटेक्चरल काम था, इसके बाद उन्होंने किसी कलात्मक इमारत का निर्माण नही किया.
4. “जामा मस्जिद” का अर्थ शुक्रवार मस्जिद होता है.
5. मस्जिद में एकसाथ 25000 लोग एक ही समय में namaz ada karte hai.
History || of || Jama Masjid|| Delhi||majid in Delhi |
जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहास History of Jama Masjid Delhi in Hindi
जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहास History of Jama Masjid Delhi in Hindi
भारत की सबसे बड़ी मस्जिद, दिल्ली में जामा मस्जिद है, Jisko mugal samrat shajha ने 1656 ईस्वी में बनाया था। इतिहास का कहना है कि 5,000 कारीगरों ने शाहजहाबाद में पहाड़ी भोज़ाल पर मस्जिद-ए-जहान नूमा या जामा मस्जिद का निर्माण किया था। यहाँ के प्रांगण में 25,000 लोग एक साथ अपनी नमाज़ अदा कर सकते हैं।
पुरानी दिल्ली में इस मस्जिद की वास्तुकला में दोनों हिंदू और इस्लामी शैलियों का प्रदर्शन किया गया था, जो कि agara laal qile में मोती मस्जिद को दोहराने के लिए बनाया गया था। पौराणिक कथा यह भी कहती है कि मस्जिद की दीवारें एक निश्चित कोण पर झुकी हुयी थी ताकि अगर भूकंप आए, तो दीवारें बाहर की ओर गिरेंगी।
जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहास History of Jama Masjid Delhi in Hindi
जामा मस्जिद का इतिहास और वास्तुकला History and Architecture
शाहजहां, aqbar k pote ne 1656 में प्रचलित छद्म-इटालियन शैली को अस्वीकृत कर दिया। विशाल मस्जिद, जिसे मस्जिद-ए-जहांनुमा के रूप में भी जाना जाता है, (जिसका मतलब है दुनिया का दर्शन)।
मुगल वास्तुशिल्प कौशल को दर्शाते हुए यह अपनी दो मीनारों और तीन विशाल गुंबदों के साथ मजबूती से यह दिल्ली में लाल किले के सामने खड़ा है। 25,000 लोग यहाँ के आंगन में अच्छी तरह से 76 x 66 मीटर के आयाम में खड़े हो सकते हैं और अपनी नमाज़ अदा कर सकते है; इसे व्यापक हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला तकनीक से तैयार किया गया है विभिन्न ऊँचाइयों के लगभग 15 गुंबदों को बनाए रखने के लिये 260 स्तंभों का प्रयोग क्या गया है जो मस्जिद की भव्यता को बढ़ाते है।
मस्जिद के दरवाजे क्रमशः 35,39,33 पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी ओर है। दक्षिणी छोर में एक मदरसा था, लेकिन 1856 ke vidrho me में इसे नष्ट कर दिया। पूरे मस्जिद 261 फीट x 90 फीट है, इसके आँगन में एक प्रार्थना स्थल है और मस्जिद का फर्श सफेद और काले पत्थरों के वैकल्पिक पट्टियों से बना है। मुस्लिमों के लिये प्रार्थना स्थल को कालीन से सजावट किया है।
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