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Tuesday 15 January 2019

Ek Molana ki Alima se shadi hui fir hua ye||new bayan||2019


Ek Molana ki Alima se shadi hui fir hua ye

अस्सलाम वालेकुम व रहमतुल्ला हे व बरकातहू अलीमुद्दीन मौलाना की एक आलीमा  लड़की से निकाह हुआ वह दोनों बहुत खुश थे साथ रह रहे थे 1 दिन अचानक उस आली माने उस लड़के से कहा कि मैं आलीमा हूं और मैं चाहती हूं हमारे आने वाली जिंदगी पूरी तरह शरीयत के मुताबिक हाउस रे और आप भी मेरी इसमें मदद कीजिएगा वह लड़का यह सुनकर बेहद खुश हुआ और अल्लाह का शुक्र अदा करने लगा कि आप जिंदगी बड़ी खुश खबर होने वाली है क्योंकि हमारे जिंदगी अब शरीयत के मुताबिक गुजरेगी और वह लड़की से शादी कर कर बहुत खुश था एक दिन अचानक एक लड़की ने उस लड़के से कहा के शरीयत के मुताबिक आपका मुझे एक घर ले कर देना चाहिए और आप इसके लिए मुझे मना नहीं कर सकते आपकी वाली धान की खेत मत करना मेरी जिम्मेदारी नहीं है यह जिम्मेवारी सिर्फ आपकी है यह सुनकर वह लड़का बेहद परेशान हुआ क्योंकि बात शरीयत की थी और वह कोई बहस नहीं कर सकता था वह सोचने लगा कि आप क्या करें तभी उसके दिमाग में ख्याल आया किसी हाल में दिन मौलाना से इसका हल ढूंढते हैं

 लड़का अलीम दींन के पास पहुंचा और उनके अर्ज़ किया कि मैं बहुत परेशान हूं और आपके पास एक बहुत बड़ा मसला लेकर आया हूं आप मुझे इस मसले का हल दीजिए कुणाल में दीन ने पूछा बताइए क्या बात है तो उस लड़के ने कहा कि मेरी बीवी का आलीमा है और उन्होंने मुझसे एक अलग घर लेने की फरमाइश जताई है वह कहती हैं कि आपके वारी दहन की खिदमत करना मेरी जिम्मेदारी नहीं तो उल्लाल में दिल ने कहा वह ठीक कह रही है आपके वाले दिन की खिदमत की जिम्मेवारी आपकी बीवी की नहीं यह जिम्मेवारी सिर्फ आपकी है इस बात पर उस लड़के को गुस्सा आया और वह अलीमुद्दीन को कहने लगा कि मैं आपसे कोई फतवा पूछने नहीं आया आप मुझे फतवा ना दे मुझे इस मसले का हल चाहिए  है


आलिम ए दीन ने बड़ी खूबसूरती से किया मसले का हल

आलिम ए दीन ने फरमाया  आप अपने घर जाकर
आपनी बीवी से कहिए कि मैं एक दूसरा नहीं खा कर लेता हूं मेरी दूसरी बीवी मेरे वाली बहन की खिदमत करेगी और उनके साथ यही रहेगी और आप को एक बहुत अच्छा सा अलग घर दिला देता हूं आप उस घर में आराम से रहना खुशी खुशी देना इस तरीके से हम शरीयत का पूरा पालन करेंगे यह बात सुनकर वह औरत घबरा उठी और बोली कैसी बातें करते हैं आप मुझे नहीं रहना अलग घर में और मैं आपका दूसरा निकाह नहीं करने दे सकती और रही बात आपके वाले दान के तो एक मुसलमान होने के नाते दूसरे मुसलमान की खिदमत करना मेरा फर्ज है और मैं मुसलमान होने के नाते आपके बलिदान की खिदमत खुद करूंगी यह बात सुनकर उसका शौहर मुस्कुरा उठा और हमेशा के लिए उनके घर में खुशहाली आ गई



सबक़

इस वाक्य से हमें सबक मिलता है कि हमें हमेशा अलीमुद्दीन जो दीन की समझ रखते हैं उनके पास बैठना चाहिए जो आलिम ए दीं होते हैं उन्हें दिन की समझ होती है  और वह किसी भी मसले का हल बड़ी खूबसूरती से करते हैं जोो किसी अनपढ़ दीन की समझ ना रखने वाले के बस की बात नहीं इसलिए हमें हमेशा आलिम ए दीं न लोगों की बस में बैठना चाहिए और किसीी जाहिल अनपढ़ बचना चाहिए और अपने मसलेे कभी किसी जाहिल के सामने पेश नहीं करने चाहिए क्योंकि उसे दिन की समझ नहीं तो वह मसलेे का सही हल कभी नहींंं दे सकता

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